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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापकों के सभी पद नहीं भर पाई है सरकार, OBC के सबसे अधिक पद खाली

सरकार ने बताया है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित सात हजार 153 पदों में से केवल चार हजार 523 पद ही भरे गए हैं. इन विवि में आरक्षित वर्ग के शिक्षकों के 2630 पद अभी भी खाली हैं. वहीं सामान्य वर्ग के 1582 पद खाली हैं.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापकों के सभी पद नहीं भर पाई है सरकार, OBC के सबसे अधिक पद खाली
  • केंद्र सरकार के अनुसार देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग चार हजार नौ सौ शिक्षकों के पद अभी भी खाली हैं
  • केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित पदों में सबसे अधिक रिक्तता देखी गई है
  • प्रोफेसर पदों में कुल स्वीकृत संख्या 2537 है, जिनमें से केवल 1157 पर नियुक्ति हुई है
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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने बताया है कि देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापकों को के करीब चार हजार नौ सौ पद अभी भी खाली हैं. इन खाली पदों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों की संख्या सबसे अधिक है. यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुकांत मजूमदार ने राज्य सभा में राष्ट्रीय जनता दल के प्रोफेसर मनोज कुमार झा के एक सवाल के जवाब में दी.

किसने पूछा था सवाल

प्रोफेसर झा ने जानना चाहा था कि पिछले पांच साल में केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और अस्सिटेंट प्रोफेसर पर कितनी भर्तियां आईं और कितने उम्मीदवारों को 'NOT FOUND SUITABLE' पाया गया है. उन्होंने सरकार से सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का ब्योरा मांगा था. इसके अलावा प्रोफेसर झा ने यह भी जानना चाहा था कि जून 2025 तक देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और अस्सिटेंट प्रोफेसर के कितने पद स्वीकृत किए गए थे और कितने भरे गए थे. उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि आरक्षित वर्गों में ही 'NOT FOUND SUITABLE' उम्मीदवार अधिक क्यों पाए जाते हैं और आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को नियुक्ति में भेदभाव से बचाने के लिए सरकार ने क्या उपाए किए हैं.

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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के कितने पद हैं

प्रोफेसर झा के सवालों के क्रम में सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आंकड़ों के हवाले से जानकारी दी है. इसके मुताबिक इस साल 30 जून तक देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के 2537 पद स्वीकृत थे. इनमें सामान्य वर्ग के 1538 पद थे. वहीं एससी के लिए 308, एसटी के लिए 144 और ओबीसी के लिए 423 पद आरक्षित थे. इनमें से 1157 पदों पर ही नियुक्तियां हुई थीं. इनमें सामान्य वर्ग के 935, एससी के 111, एसटी के 24 और ओबीसी के 84 प्रोफेसर नियुक्त किए गए. मतलब केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के आधे से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं. इस आंकड़ों में चौकाने वाला आंकड़ा यह है कि आरक्षित वर्गों में हुई नियुक्तियां सबसे कम हैं. उदाहरण के लिए प्रोफेसर पद पर करीब 20 फीसदी ही नियुक्तियां हो पाई हैं और करीब 80 फीसदी पद अभी भी खाली हैं. यह हाल एससी और एसटी वर्ग के लिए आरक्षित पदों का है.

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इसी तरह अगर एसोसिएट प्रोफेसर के पदों को देखें तो केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इनके 5105 पद स्वीकृत हैं. इनमें सामान्य वर्ग के 3013 पद थे. वहीं एससी के लिए 632, एसटी के लिए 307 और ओबीसी के लिए 883 पद आरक्षित थे. इनमें से 3238 पदों पर नियुक्ति हुई है. इनमें सामान्य वर्ग के 2533 पद भरे गए हैं. और एससी के 308, एसटी के 108 और ओबीसी के 275 पद ही भरे गए हैं. यहां भी ओबीसी के करीब 70 फीसदी पद अभी भी खाली हैं.

अस्सिटेंट प्रोफेसर के कितने पद खाली हैं

वहीं अगर अस्सिटेंट प्रोफेसर के पदों पर देखें तो केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इनके कुल 11309 पद स्वीकृत हैं. इनमें सामान्य वर्ग के 6285 पद हैं. वहीं एससी के 1370, एसटी के 704 और ओबीसी के लिए 2382 पद आरक्षित हैं. इन पदों में से सरकार ने 9667 पदों पर नियुक्तियां कर दी हैं. इनमें से 5786 पद सामान्य वर्ग से भरे गए हैं. वहीं एससी के लिए आरक्षित पदों में से 1180, एसटी के 595 और ओबीसी के 1838 पद ही भरे गए हैं.

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