गुनगुनी सर्दियों में ओडिशा का यह चर्चित समुद्री तट पर्यटकों को जन्नत का सा एहसास दिया करता था, बंगाल की खाड़ी से उठने वाली सर्द हवाओं में घुले नमक का स्वाद जहां होठों को महसूस होता था, वहीं साहिल से आ आकर टकराती सागर की नरम लहरें पांवों को नम एहसास दे जाती थीं।
आज मंजर बदल गया है। इस गांव के ऊपर मंडराते घनघोर बादल स्याह हो चले हैं और लहरों का वेग लगातार प्रचंड होता जा रहा है। खूबसूरती के नजारे खौफजदा हो गए हैं और अनहोनी की आशंका
से यहां के ज्यादातर लोग अपने घरबार छोड़कर जान बचाने की जुगत में लगे हैं।
चक्रवात के प्रभाव से चलने वाली तेज हवाओं ने गोपालपुर थाने के गेट के ठीक सामने पेड़ों को जड़ से उखाड़ फेंका है और थाने की तरफ जाने वाली सड़क पर भी पेड़ गिरे पड़े हैं। सड़कों पर दूर-दूर तक वीरानी है और सांय-सांय करती हवा और तेज बारिश के थपेड़े आने वाली तबाही का संकेत दे रहे हैं।
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