पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को तीन आपराधिक न्याय विधेयकों (Criminal Justice Bills) के पारित होने की सराहना की. नए कानून देश में औपनिवेशिक युग में बनाए गए कानूनों की जगह लेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि यह सार्वजनिक सेवा और कल्याण पर केंद्रित कानूनों के साथ एक नए युग की शुरुआत है.
संसद द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को मंजूरी दिए जाने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा, "उनके माध्यम से, हमने राजद्रोह पर पुरानी धाराओं को भी अलविदा कह दिया है."
यह विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता-1860, दंड प्रक्रिया संहिता-1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा, "ये बिल औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं. सार्वजनिक सेवा और कल्याण पर केंद्रित कानूनों के साथ एक नए युग की शुरुआत हो रही है."
पीएम मोदी ने कहा, "यह परिवर्तनकारी विधेयक सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण हैं. यह टेक्नालॉजी और फोरेंसिक साइंस पर ध्यान देने के साथ हमारी कानूनी, पुलिस और जांच प्रणालियों को आधुनिक युग में लाएंगे. यह विधेयक गरीबों, हाशिए पर रहने वालों और हमारे समाज के कमजोर वंचित वर्ग के लिए अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं." प्रधानमंत्री ने कहा, यह बिल संगठित अपराध, आतंकवाद और ऐसे अपराधों पर कड़ा प्रहार करते हैं जो देश की प्रगति की शांतिपूर्ण यात्रा की जड़ पर हमला करते हैं.
उन्होंने संसद में गृह मंत्री अमित शाह के भाषण का संदर्भ लेते हुए कहा, "हमारे अमृत काल में ये कानूनी सुधार हमारे कानूनी ढांचे को अधिक प्रासंगिक और सहानुभूति से प्रेरित होने के लिए फिर से परिभाषित करते हैं."
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