'आत्मनिर्भर भारत' योजना से मिली प्रेरणा और सरकार की तरफ से मिल रहे लगातार प्रोत्साहन की वजह से देश की शीर्ष 25 निजी एयरोस्पेस और रक्षा कंपनियों का राजस्व वित्त वर्ष में 20 प्रतिशत बढ़कर 13,500 करोड़ रुपये हो जाएगा. मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया.
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार ऑपरेटिंग मार्जिन में 50-60 आधार अंक की वृद्धि, लगातार राजस्व में हो रही वृद्धि, अर्थव्यवस्था का बेहतर होना और निश्चित लागत पर अच्छे मुनाफे की वजह से ऐसा होना संभव हो सकता है.
सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम (पीएसयू) भारतीय रक्षा उद्योग का अभी नेतृत्व कर रहे हैं, इसके बाद भी निजी कंपनियों का राजस्व हिस्सा बढ़ रहा है. इसके पीछे की वजह यह है कि अब निजी कंपनियों ने भी इस ओर ध्यान देना शुरू किया है और इस क्षेत्र में निवेश के लिए सरकार की तरफ से उन्हें प्रोत्साहन भी मिल रहा है.
वहीं, रक्षा उपकरण निर्माण में आए उदारीकरण के दौर और बढ़ती पारदर्शिता की वजह से निजी कंपनियों को घरेलू और विदेशी बाजारों में अधिक ऑर्डर हासिल करने में मदद मिली है.
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक जयश्री नंदकुमार के अनुसार, "वित्त वर्ष 2025 में जो ऑर्डर बुक हैं, उससे होने वाली आय लगभग 4.5 गुना बढ़कर 50,000-51,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2023 में 3.5 गुना थी. इसकी वजह से इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के राजस्व में वृद्धि होगी."
रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है कि सकल कार्यशील पूंजी (ग्रॉस करंट एसेट्स) में 450-500 दिनों के उच्च स्तर से औसतन और अधिक वृद्धि हो सकती है, जो क्रमशः 230 और 120 दिनों के बड़े भंडार और प्राप्तियों से दिख रहा है.
क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट निदेशक सजेश केवी ने कहा, "इसमें निवेश करने वाले निवेशक अपनी मौजूदा क्षमताओं को 12-14 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए इस वित्तीय वर्ष में 650-700 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) कर सकते हैं. क्योंकि कार्यशील पूंजी (ग्रॉस करंट एसेट्स) व्यय को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 600-700 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी."
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