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This Article is From Jun 15, 2017

दार्जिलिंग के मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग, जीजेएम के नेता राजनाथ से मिले

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर जबरन बंगाली भाषा थोपने का आरोप, केंद्र सरकार के दखल की जरूरत

दार्जिलिंग के मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग,  जीजेएम के नेता राजनाथ से मिले
दार्जिलिंग में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करती हुईं महिलाएं.
नई दिल्ली: दार्जिलिंग शहर में हिंसक आंदोलन की आग लगी हुई है. इसकी शिकायत लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेता दिल्ली पहुंचे. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और मांग की कि इसमें केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे.  

जीजेएम के जनरल सेक्रेटेरी रोशन गिरी और भाजपा के दार्जिलिंग से सांसद एसएस अहलूवालिया ने राजनाथ सिंह से मिलकर अपनी मांगें उनके सामने रखीं. रोशन गिरी ने गृह मंत्री से मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं को बताया कि "हमने केंद्रीय मंत्री को वहां के हालात से अवगत कराया और बताया कि ममता सरकार जबरन हम पर बंगाली भाषा थोपना चाहती है. यह एक गंभीर मुद्दा है. केंद्र सरकार को इसमें दखल देने की जरूरत है."

गिरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार वहां लोकतांत्रिक ढंग से चलाए जा रहे आंदोलन को खत्म करना चाहती है. उन्होंने कहा कि "हमारे दफ्तरों में रेड की गई. कई चीजें हमारे दफ्तरों में प्लांट की गईं. हम इसकी आलोचना करते हैं."  

दरअसल गुरुवार को सुबह जीजेएम के नेता बिमल गुरुंग के घर की तलाशी ली गई. इसमें बड़ी संख्या में हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए जिसमें नाइट विजन दूरबीन और एक रेडियो सेट भी है.

गिरी ने कहा कि "हम आदिवासी हैं. हमारी परंपरागत तीरंदाजी प्रतियोगिता आयोजित की जाने वाली है. पुलिस ने हमारे परंपरागत उपकरणों को हथियार के रूप में दिखाया है. यही कारण है कि हम गोरखालैंड की मांग कर रहे हैं क्योंकि हमारे अधिकार, संस्कृति, विरासत और परंपराओं का यहां कुछ भी सम्मान नहीं है."

संगठन का कहना था कि यह एक राजनीतिक मामला है और राज्य सरकार को इसे राजनीतिक रूप से ही हल करना चाहिए. रोशन गिरी ने कहा कि हम शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं जो पुलिस के दमन के विरुद्ध है. यह एक राजनीतिक मामला है. कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है. इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार को इसे राजनीतिक रूप से हल करना चाहिए.

गोरखा नेताओं का यह भी कहना है कि बंगाली और नेपाली दोनों भाषाएं संविधान के आठवीं अनुसूची में हैं इसीलिए दोनो भाषाओं को इज्जत देनी चाहिए. उन्होंने कहा "हम पर बंगाली भाषा थोपी जा रही है. हम ऐसा नहीं होने देंगे."  

बहरहाल केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जीजेएम के नेताओं को आश्वासन दिया है कि वे प्रधानमंत्री से बात कर समस्या का हल ढूंढने की कोशिश करेंगे.

दार्जिलिंग के सांसद एसएस अहलूवालिया ने कहा कि ममता सरकार को सरकारी ऑर्डर निकालना चाहिए कि दार्जिलिंग में बंगाली बोलनी जरूरी नहीं है.

इधर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से गोरखालैंड मामले पर रिपोर्ट मांगी है. साथ ही राज्य सरकार से कानून व्यवस्था बनाए रखने को भी कहा है. मंत्रालय का कहना है कि वह दार्जिलिंग में तनावपूर्ण स्थिति पर निगरानी रख रहा है. उधर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता विमल गुरूंग के दार्जिलिंग स्थित कार्यालय पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा छापा मारे जाने के बाद संगठन ने अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है.

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