इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास (Hamas)के बीच जंग की वजह से (Israel Palestine Conflict) गाजा पट्टी में संकट बढ़ता जा रहा है. गाजा संकट ने जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में सड़क पर विरोध प्रदर्शन (Protest) की वापसी की संभावना भी बढ़ा दी है. इसके साथ ही विदेशी आतंकवादियों की संख्या में बढ़ोतरी ने सुरक्षा एजेंसियों को सुरक्षा उपायों की समीक्षा करने और नए उपायों पर रणनीति बनाने के लिए प्रेरित किया है.
बुधवार को श्रीनगर स्थित 15 कोर के मुख्यालय में जम्मू-कश्मीर और सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई. एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को बताया, "एक नए सुरक्षा मैट्रिक्स पर चर्चा की गई. इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि आने वाले दिनों में सड़क पर होने वाले विरोध प्रदर्शनों को कैसे रोका जाए. बैठक का उद्देश्य समन्वय बढ़ाना था."
इस हाई-प्रोफाइल बैठक में विदेशी आतंकवादियों की भूमिका को लेकर भी चर्चा हुई. एक अन्य अधिकारी ने कहा, "विदेशी आतंकवादियों की संख्या फिर से बढ़ गई है, क्योंकि संगठनों में स्थानीय भर्तियां काफी कम हो गई हैं."
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल केंद्र शासित प्रदेश में मारे गए 46 आतंकवादियों में से 37 पाकिस्तानी थे. सिर्फ 9 स्थानीय आतंकी थे. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के 33 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि मारे गए विदेशी आतंकवादियों की संख्या स्थानीय आतंकवादियों से चार गुना ज्यादा है.
श्रीनगर में हुई बैठक की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार आरआर भटनागर और उत्तरी कमान के आर्मी कमांडर उपेंद्र द्विवेदी ने की. बैठक में जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक, चिनार कोर कमांडर और सेना, राज्य प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.
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