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This Article is From Aug 31, 2017

गया रोडरेज मामला : आदित्य सचदेव हत्याकांड में रॉकी यादव समेत 4 लोग दोषी करार

फैसला आने से पहले आदित्य सचदेव की मां ने कहा था कि मां में बहुत ताकत होती है. मां तो खुद इंसाफ कर लेती है किसी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन हमने इंसाफ कानून पर छोड़ा है. भगवान पर छोड़ा है.

गया रोडरेज मामला : आदित्य सचदेव हत्याकांड में रॉकी यादव समेत 4 लोग दोषी करार
गया: चर्चित रोडरेज आदित्य सचदेव हत्याकांड में 16 महीने के बाद गया कोर्ट ने रॉकी यादव समेत चार लोगों को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने रॉकी यादव और बॉडी गार्ड को हत्या का दोषी माना है. इस मामले में 6 सितंबर को सजा सुनाई जाएगी. 7 मई 2016 को आदित्य की हत्या गोली मार कर की गई थी. फैसला आने से पहले आदित्य सचदेव की मां ने कहा था कि मां में बहुत ताकत होती है. मां तो खुद इंसाफ कर लेती है किसी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन हमने इंसाफ कानून पर छोड़ा है. भगवान पर छोड़ा है. हम जानते हैं कि हमने 16 महीने कैसे निकाले हैं. हम लोग अपनी जिंदगी जीने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन नहीं जी पा रहे हैं.

पढ़ें: आदित्य की 'हत्या के आरोपी' रॉकी यादव के नाम रवीश कुमार का खुला खत
 
rockey yadav
रॉकी यादव दोषी करार

गौरतलब है कि 19 साल के आदित्य सचदेव की स्थानीय नेता के बेटे रॉकी यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. हत्या के बाद आदित्य की 12वीं कक्षा का रिज़ल्ट आया था जिसमें उन्होंने 70 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. 24 साल के रॉकी यादव ने आदित्य को कथित तौर पर इसलिए गोली मार दी थी क्योंकि वह विधायक की रेंज रोवर को ओवरटेक करने की गलती कर बैठा था.

रिजल्ट को लेकर आदित्य के पिता श्याम सुंदर सचदेव और उनकी मां चंदा सचदेव ने कहा था कि उनके बेटे के परीक्षा परिणाम ने उनके दिल के दर्द को और बढ़ा दिया है. सचदेव ने कहा था कि मेरे बेटे ने यह परीक्षा तो पास कर ली लेकिन जिंदगी की परीक्षा में फेल हो गया. अगर वह जिंदा होता तो यह हमारे लिए एक खुशी का पल होता है लेकिन अब तो कहने के लिए कुछ नहीं है. वहीं आदित्य की मां ने कहा था कि हमें बहुत उम्मीद थी लेकिन हमने नंबर चेक नहीं किए, उसके दोस्तों ने बताया है कि उसके 70 प्रतिशत नंबर आए हैं. आदित्य के परिवार के सदस्यों ने एनडीटीवी को बताया था कि वह कॉमर्स का छात्र था और आगे की पढ़ाई दिल्ली या मुंबई से करना चाहता था. आदित्य के दोस्तों ने यह भी बताया था कि वह एक औसत छात्र था और 70 प्रतिशत नंबरों से वह खुश हो जाता.

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