गौतम अदाणी ने बताए बिजनेस में सक्सेस के 5 फॉर्मूले, चुनौतियों का भी किया जिक्र

गौतम अदाणी ने कहा, "बिजनेस में मैंने जितनी बार नुकसान झेला और जितनी दफा गिरा, उतनी बार मैं फिर से खड़े होकर रास्ता खोजने में कामयाब रहा. मैं पहले भी गिरकर उठ सकता था. आज भी उठने में सक्षम हूं. मुझे गिरने का कभी डर नहीं था.''

मुंबई:

अदाणी ग्रुप (Adani Group)के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) बुधवार को मुंबई में एक प्राइवेट इवेंट में शामिल हुए. इस बीच उन्होंने अपने संबोधन के दौरान अपने बचपन को याद किया. अहमदाबाद के एक सामान्य परिवार में जन्मे दिग्गज कारोबारी गौतम अदाणी ने बिजनेस के उन मंत्रों के बारे में भी बात की, जिससे उन्हें सफल होने में मदद मिली. 

गौतम अदाणी ने कहा, "मैंने मुंबई में डायमंड के बिजनेस में 4 साल तक काम किया. इस शहर ने मुझे बड़ा सोचना, बड़े सपने देखना और सबसे बढ़कर सफल होने की आकांक्षा करना सिखाया." अदाणी ने कहा, "इसके बाद जब मैं 19 साल का होने वाला था और मुंबई में बसने वाला था, तभी मेरी जिंदगी में एक अप्रत्याशित मोड़ आया. मुझे मेरे बड़े भाई ने अहमदाबाद के पास अधिग्रहित एक छोटे पैमाने की PVC फिल्म फैक्ट्री को चलाने में मदद करने के लिए बुलाया. ये बिजनेस भारी आयात प्रतिबंधों और कच्चे माल की कमी के कारण बेहद चुनौतीपूर्ण था. इस चुनौती ने मेरे अगले बड़े सबक के लिए आधार तैयार किया."

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अदाणी ने कहा, "लेकिन 1985 के चुनावों के बाद सब बदलना तय था. राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने आयात नीतियों के उदारीकरण की शुरुआत की. कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद मैंने उस मौके का फायदा उठाया. एक व्यापारिक संगठन की स्थापना की. जरूरतमंद लघु उद्योगों को सप्लाई करने के लिए हमने पॉलिमर का आयात करना शुरू किया. मैं तब मात्र 23 साल का था." अदाणी आगे कहते हैं, "एक यात्रा अब तक के सबसे रोमांचक प्लेटफार्मों में से एक पर बनी हुई है. इस प्लेटफॉर्म को हम हम भारत कहते हैं."

अदाणी ग्रुप के चेयरमैन कहते हैं, "अगर 1990 के दशक के बाद के तीन दशकों ने भारत के लिए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की नींव रखी है, तो 2050 की ओर यात्रा और भी अधिक परिवर्तनकारी होगी. पिछले तीन दशक भारत के दरवाजे दुनिया के लिए खोलने के बारे में थे. आने वाले तीन दशकों में दुनिया के देश भारत के लिए अपने दरवाजे खोलेंगे."

उन्होंने कहा, "डिजिटल युग ने खेल के मैदान को लोकतांत्रिक बना दिया है. इसने बड़ी संख्या में कंपनियों के लिए खुले मौके पैदा किए हैं. यह तेजी से विकास का युग है. इस डिजिटल क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण पहचान नए टेक जायंट अरबपतियों की है. 1990 के दशक में भारत में सिर्फ दो अरबपति थे. आज यह संख्या 167 है." 

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गौतम अदाणी ने कहा, "मैंने काफी कम उम्र में एंटरप्रिन्योर जर्नी की शुरुआत की थी. ये रिस्क लेने और कभी-कभी नुकसान झेलने के बाद भी संभल जाने के बारे में है. मैंने जितनी बार नुकसान झेला और जितनी दफा गिरा, उतनी बार मैं फिर से खड़े होकर रास्ता खोजने में कामयाब रहा. मैं पहले भी गिरकर उठ सकता था और आज भी उठने में सक्षम हूं. मुझे गिरने का कभी डर नहीं था.'' 

इस दौरान गौतम अदाणी ने उन पांच मंत्रों के बारे में भी बताया, जिससे उन्हें सफलता पाने में मदद मिली:-

पहला मंत्र: आपकी सफलता जितनी बड़ी होगी, आपका लक्ष्य उतना ही बड़ा होगा. आपकी सफलता का असली माप आपकी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आपकी उपलब्धियों के साथ आने वाली प्रतिकूलताओं से उबरने की आपकी क्षमता में होगा.

दूसरा मंत्र: दुनिया जटिल है. इसे सरलता के सिद्धांत पर बेचा जाना आसान है. हालांकि, सादगी लक्ष्य हो सकती है, लेकिन यह जटिलता को मैनेज करने की क्षमता है. ये आपको दूसरों से अलग करेगी और आपको उथले तटों पर रहने वाले लोगों के मुकाबले गहरे पानी में नेविगेट करने वाला फाइटर बनाएगी.

तीसरा मंत्र: भारत जैसे तेजी से बढ़ते राष्ट्र के गतिशील मॉडल को एक लचीले नजरिए की जरूरत है. रणनीतिक भेदभाव का मूल अक्सर किताबी ज्ञान और पश्चिमी केंद्रित मॉडलों की सीमाओं को पहचानने में निहित होता है. किताबों और साहित्य से विचारों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, लेकिन ध्यान रखें कि ये प्रभावशाली कहानीकारों की राय हैं, जो प्रभावित करने की महान क्षमता रखते हैं.

चौथा मंत्र: लचीलेपन के लिए अक्सर आलोचना झेलने की क्षमता की जरूरत पड़ती है. आप जितना ऊपर उठेंगे, उतना ही आपको आलोचना से निपटने के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत होगी. इसे तरक्की में बाधा बनने की अनुमति देने के बजाय, आपको गलत समझे जाने के लिए तैयार रहना चाहिए. आपको अपने अंदर लचीलापन बनाए रखना चाहिए. इसलिए, यह एक आंतरिक शक्ति विकसित करने के बारे में है, जो आपको गंभीर विरोध के बावजूद भी अपने दृढ़ विश्वास पर टिके रहने की ताकत देता है.

पांचवां मंत्र: हमेशा विनम्र बने रहें. विनम्रता सबसे बड़ा गुण है, जिसके बल पर आप सब कुछ पा सकते हैं. विनम्रता का मतलब अपने बारे में कम सोचना नहीं होता, लेकिन यह अपने बारे में थोड़ा कम सोचना जरूर हो सकता है. एक सच्ची लीडरशिप अपनी उपलब्धियों को स्वीकार करने में निहित है, लेकिन इसके लिए दूसरों पर हावी हुए बिना कोशिश करनी होगी.

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माता-पिता से मिली प्रेरणा
गौतम अदाणी ने कहा शुरुआती सालों में उनके माता-पिता उन्हें गहराई से प्रभावित और प्रेरित किया. उन्होंने कहा, "मेरी मां हमारे घर का पिलर थीं. उन्होंने हमारी ज्वॉइंट फैमिली को मजबूती से जोड़े रखा. हमारे बड़े परिवार को एक साथ रखने की उनकी प्रतिबद्धता ने मेरे अंदर पारिवारिक मूल्यों और विश्वासों की नींव रखी. मेरे पिता बिजनेसमैन थे. उन दिनों लेन-देन मौखिक रूप से होता था या फिर ज्यादातर टेलीफोन पर ही होता था. पहले लिखित दस्तावेज़ या कॉन्ट्रैक्ट नहीं होते थे. बहुत कम उम्र में मैंने देखा कि ये मौखिक प्रतिबद्धताएं कभी फेल नहीं होती." 

गौतम अदाणी कहते हैं, "मेरे बचपन के इन अनुभवों ने मेरे विश्वासों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके परिणामस्वरूप आज अदाणी ग्रुप का कोर वैल्यू- झेलने का साहस, लोगों में विश्वास और एक बड़े उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता है." 



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