फोटो- गजेंद्र चौहान
मुंबई:
फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया यानि एफटीआईआई के गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष पद पर बीजेपी नेता और महाभारत सीरियल में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान को बैठाने का फैसला विवादों में घिरता जा रहा है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने गुलजार, श्याम बेनेगल, अदूर गोपालकृष्णन जैसे नामों को दरकिनार कर चौहान को यह जिम्मेदारी दी है, जिसका छात्र विरोध कर रहे हैं। अब छात्र अनिश्चितकालीन धरने पर भी बैठ गए हैं।
गजेंद्र को एफटीआईआई गवर्निंग काउंसिल का अध्यक्ष बनाए जाने की खबर आने के बाद ही पुणे स्थित इंस्टीट्यूट का कैंपस ''धर्मराज युधिष्ठिर नहीं चाहिए, राजनीति एफटीआईआई साथ साथ नहीं चलेगी'' जैसे नारों से गूंज उठा। विरोध दर्ज कराते पोस्टरों से कैंपस पट गया।
छात्र संस्थान की गवर्निंग काउंसिल पर गजेंद्र चौहान की ताजपोशी के खिलाफ शुक्रवार से ही थ्योरी, प्रैक्टिल का बॉयकॉट कर रहे हैं। एफटीआईआई स्टूडेंट यूनियन के नेता हरिकृष्ण नाचिमुथु का कहना है कि 'अगर सूचना और प्रसारण मंत्रालय इस नियुक्ति पर रोक नहीं लगाता है तो विरोध और तेज़ किया जाएगा। नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और राजनीतिक दबाव से मुक्त होनी चाहिए।'
दरअसल, गजेन्द्र चौहान बीजेपी नेता हैं। नौ जून को उनकी नियुक्ति सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने की थी। इस पूरे विवाद पर चौहान कह रहे हैं कि उन्होंने राजनीति में चंद साल बिताए हैं, जबकि फिल्मों में वो सालों से काम कर रहे हैं।
गजेन्द्र चौहान ने कहा 'मुझे हैरत हो रही है। मैंने कई निर्देशकों के साथ काम किया है। मैं पूरी ईमानदारी से संस्थान को नया चेहरा देने की कोशिश करूंगा। मुझे नहीं पता कि छात्र मेरा विरोध क्यों कर रहे हैं? अगर आप बड़े नामों को ही काम देते रहेंगे तो छोटे लोगों की कोई जगह नहीं होगी।'
ग़ौरतलब है कि पहले चौहान का नाम बतौर सेंसर बोर्ड अध्यक्ष उछला था, लेकिन बाद में वहां पहलाज निहलानी को बिठाया गया। वर्ष 2014 में एफटीआईआई के पूर्व अध्यक्ष सईद मिर्जा का कार्यकाल खत्म होने के बाद से ये पद खाली था।
गजेंद्र को एफटीआईआई गवर्निंग काउंसिल का अध्यक्ष बनाए जाने की खबर आने के बाद ही पुणे स्थित इंस्टीट्यूट का कैंपस ''धर्मराज युधिष्ठिर नहीं चाहिए, राजनीति एफटीआईआई साथ साथ नहीं चलेगी'' जैसे नारों से गूंज उठा। विरोध दर्ज कराते पोस्टरों से कैंपस पट गया।
छात्र संस्थान की गवर्निंग काउंसिल पर गजेंद्र चौहान की ताजपोशी के खिलाफ शुक्रवार से ही थ्योरी, प्रैक्टिल का बॉयकॉट कर रहे हैं। एफटीआईआई स्टूडेंट यूनियन के नेता हरिकृष्ण नाचिमुथु का कहना है कि 'अगर सूचना और प्रसारण मंत्रालय इस नियुक्ति पर रोक नहीं लगाता है तो विरोध और तेज़ किया जाएगा। नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और राजनीतिक दबाव से मुक्त होनी चाहिए।'
दरअसल, गजेन्द्र चौहान बीजेपी नेता हैं। नौ जून को उनकी नियुक्ति सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने की थी। इस पूरे विवाद पर चौहान कह रहे हैं कि उन्होंने राजनीति में चंद साल बिताए हैं, जबकि फिल्मों में वो सालों से काम कर रहे हैं।
गजेन्द्र चौहान ने कहा 'मुझे हैरत हो रही है। मैंने कई निर्देशकों के साथ काम किया है। मैं पूरी ईमानदारी से संस्थान को नया चेहरा देने की कोशिश करूंगा। मुझे नहीं पता कि छात्र मेरा विरोध क्यों कर रहे हैं? अगर आप बड़े नामों को ही काम देते रहेंगे तो छोटे लोगों की कोई जगह नहीं होगी।'
ग़ौरतलब है कि पहले चौहान का नाम बतौर सेंसर बोर्ड अध्यक्ष उछला था, लेकिन बाद में वहां पहलाज निहलानी को बिठाया गया। वर्ष 2014 में एफटीआईआई के पूर्व अध्यक्ष सईद मिर्जा का कार्यकाल खत्म होने के बाद से ये पद खाली था।
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