कांग्रेस ने रविवार को दिल्ली में सेवाओं से जुड़े केंद्र के अध्यादेश पर अपने रुख पर सस्पेंस खत्म करते हुए घोषणा कर दी कि वह "लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर नरेंद्र मोदी सरकार के सभी हमलों का विरोध करेगी," वहीं केंद्र भी संसद के आगामी मॉनसून सत्र को लेकर ज़ोरदार तैयारियों में जुटा हुआ है. इस सत्र में दिल्ली सेवाओं, डाटा प्रोटेक्शन, जन विश्वास, वन संरक्षण और कई अन्य विधेयकों के आने की संभावना है, जिनका विपक्ष पहले से विरोध करता आ रहा है.
जन विश्वास विधेयक 2022, 42 कानूनों में 181 प्रावधानों में संशोधन करने और आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने की कोशिश करता है. संयुक्त समिति के पास भेजे जाने से पहले पिछले संसद सत्र में विधेयक पेश करते समय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि देश में ऐसे कई कानून हैं, जिनमें छोटे-छोटे अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है, जिसके लिए व्यक्तियों को अक्सर न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. उन्होंने टिप्पणी की थी कि हमारे कानूनों में पुराने प्रावधानों को खत्म करने से अदालतों पर बोझ कम करने में मदद मिलेगी.
बिल में कहा गया है कि विधेयक के मूल में निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देने और देश की व्यापार करने में सुविधा (ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस) रैंकिंग में सुधार करने का प्रयास है और छोटे अपराधों के लिए कारावास के डर को दूर करना है, जो व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र और व्यक्तिगत आत्मविश्वास के विकास में बाधा डालते हैं. NDTV को मिली जानकारी के मुताबिक, इन बदलावों के लिए 19 मंत्रालयों के बीच विचार-विमर्श किया गया.
रिपोर्टों में कहा गया है कि 150 से अधिक कर्मचारियों वाली एक औसत विनिर्माण फर्म एक वर्ष में 500-900 अनुपालन करती है, जिसकी लागत हर साल लगभग 16 लाख रुपये होती है. इसके अलावा कुछ उद्यमियों पर आपराधिक कार्रवाई भी होती है, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों निवेशकों के विश्वास को प्रभावित करती है.
जन विश्वास विधेयक की आवश्यकता पर बोलते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "जेपीसी रिपोर्ट में पहले ही 42 कानूनों में 35000 से अधिक अनुपालनों का बोझ कम करने और मौद्रिक दंड के साथ 3,400 कानूनी प्रावधानों को अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव दिया गया है. इनमें से लगभग 30 कानून सीधे तौर उद्योग और व्यापार से जुड़े हुए हैं. चाहे यह उद्योग अधिनियम हो या ट्रेडमार्क अधिनियम और यहां तक कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम या आईटी अधिनियम, उचित दंड के साथ आगे बढ़ने का प्रावधान होना चाहिए, जो जन विश्वास विधेयक का प्रस्ताव है..."
सरकार ने दिल्ली सेवाओं पर अध्यादेश को बदलने के लिए विधेयक को सूचीबद्ध किया है, जो नौकरशाही पर राज्य सरकार की शक्तियों को कम करता है. यह मुद्दा राजनीतिक रूप से गर्म है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विधेयक के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए पिछले एक महीने में विभिन्न विपक्षी दलों के प्रमुखों से मिल चुके हैं. उच्च सदन में 31 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस का समर्थन AAP के लिए अहम होगा, क्योंकि BJP के नेतृत्व वाले NDA के पास राज्यसभा में 238 में से 109 सांसदों का समर्थन है और उसे बीजू जनता दल (BJD) और YSRCP से समर्थन की उम्मीद है, जिनके उच्च सदन में 9-9 सांसद हैं.
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का गोपनीयता पर प्रभाव पड़ेगा
केंद्र ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 लाने की भी योजना बनाई है, जिस पर 2019 के बाद से संसद में कई बार उठापटक होती रही है. इस विधेयक से देश में व्यक्तिगत डेटा को संग्रहीत और संसाधित करने के तरीके पर असर होगा, ऐप्स द्वारा ब्लैन्केट परमिशन मांगे जाने पर असर होगा, और तो और - कंपनियों पर डेटा उल्लंघन के मामलों में लगाए जाने वाले जुर्माने पर भी असर होगा.
रिसर्च में निवेश को बढ़ावा देने के लिए NRF बिल
इसी तरह केंद्र ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पेश करने की भी योजना बनाई है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान में देश के खर्च को बढ़ाने और मुख्यधारा के अनुसंधान में निजी क्षेत्र की भागीदारी में सुधार करने पर भी विचार करता है. केंद्र ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को सुव्यवस्थित करने के लिए एक समन्वय एजेंसी की रूपरेखा की परिकल्पना के तहत पांच वर्ष के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये फंड के रूप में आवंटित किए हैं.
कांग्रेस पहले ही इस पहल में निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर चिंता जता चुकी है. यह विधेयक इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि अनुसंधान प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं में फोकस का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है, जिसमें उनकी हालिया अमेरिका यात्रा भी शामिल है, जहां जेट टक्नोलॉजी, क्वांटम और सेमीकंडक्टर अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग समझौते किए गए. एनआरएफ से भारत और चीन, कोरिया व अमेरिका जैसे अन्य देशों के बीच रिसर्च फंडिंग के अंतर के कम होने की उम्मीद है, जो अनुसंधान एवं विकास में अहम निवेश किया करते हैं.
पर्यावरण पर महत्वपूर्ण विधेयक आने की संभावना
जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 भी पेश किए जाने की संभावना है. संसद की संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तावित संशोधनों पर रिपोर्ट दाखिल कर देने के बाद तैयार किए गए विधेयक का उद्देश्य परम्परागत भारतीय डॉक्टरों, बीज उद्योग तथा शोध संगठनों की उन चिंताओं को दूर करना है, जो बायोलॉजिकल डायवर्सिटी एक्ट, 2002 में अनुपालन के बंधन से जुड़ी थीं. इसके लिए मुनाफ़ा बांटने वाली अनिवार्यताओं में से बायो-सर्वे गतिविधियों को हटाना तथा कुछ अपराधों को डीक्रिमिनलाइज़ करना शामिल है.
यह रजिस्टर्ड आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान तक पहुंच बनाने वाले लोगों को स्थानीय समुदायों के साथ लाभ साझा करने या जैविक संसाधनों तक पहुंच बनाने से पहले राज्य जैव विविधता बोर्डों को पूर्व सूचना देने से छूट देता है. प्रस्तावित संशोधनों ने कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों के बीच चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिन्होंने आरोप लगाया है कि विधेयक केवल संरक्षण की कीमत पर व्यापार को बढ़ावा देना चाहता है.
केंद्र द्वारा विवादास्पद वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 लाए जाने की भी संभावना है, जिसकी कुछ समूहों ने आलोचना की है. नया कानून वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) सहित भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ 100 किमी की दूरी के भीतर वन भूमि को इसके दायरे से बाहर कर देगा, ताकि सरकार द्वारा भूमि का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजनाओं, सार्वजनिक सड़कों और अन्य रणनीतिक परियोजनाओं के लिए किया जा सके.
यह मुख्य रूप से वन संरक्षण अधिनियम के तहत "गैर-वन उद्देश्य" छूट की पहुंच को फिर से परिभाषित करेगा. कांग्रेस ने पहले विधेयक को विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर स्थायी समिति को भेजने के बजाय जेपीसी को भेजने के फैसले का विरोध किया था.
अन्य महत्वपूर्ण विधेयक
जन्म और मृत्यु पंजीकरण विधेयक में एक महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किए जाने की संभावना है, जो जन्म और मृत्यु संख्या के केंद्रीकृत डेटा-रखने और नागरिक पंजीकरण प्रणाली को मजबूत करने पर विचार करता है. यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि दो साल पहले होने वाली जनगणना में कोविड-19 के कारण देरी हो गई है और सीआरएस डेटा सामाजिक क्षेत्र में नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है.
अन्य नए विधेयकों में डाक सेवाओं पर मूलभूत मामलों को निर्धारित करने के लिए डाक सेवा विधेयक, 2023, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और बैंक अधिनियम, 1945 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक, करों के प्रोविज़नल संग्रह को निरस्त करने के लिए एक विधेयक, राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग स्थापित करने के लिए एक विधेयक और राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग के लिए एक विधेयक और सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भी एक महत्वपूर्ण आयोग से जुड़ा विधेयक शामिल हैं.
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