
वेंकैया नायडू की किताब के विमोचन के मौके पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में वेंकैया नायडू की पहली पुस्तक ‘मूविंग आन मूविंग फारवर्ड, ए इयर इन ऑफिस’ का विमोचन रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया. इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहे. पुस्तक के विमोचन समारोह के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह शायराने अंदाज में नजर आए. अपने संबोधन के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने एक कविता सुनाई- 'सितारों के आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं.' बता दें कि उपराष्ट्रपति नायडू ने पिछले एक साल में अपने अनुभवों का उल्लेख 245 पृष्ठ की इस पुस्तक में शब्दों और चित्रों के माध्यम से किया है. उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने अपने पहले साल के कार्यकाल के अनुभवों को पुस्तक के रूप में संकलित किया है.
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अपने संबोधन के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि- वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति कार्यकाल में अपने राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव को शामिल करते हैं, और यह उनके एक साल के कार्यकाल में काफी हद तक परिलक्षित होता है. मगर सबसे अच्छा अभी भी आने वाला है. किसी कवि ने कहा है कि 'सितारों के आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं.'
He brings to office of VP,political&administrative experience&that is amply reflected in his 1 year in office. But best is yet to come. As a poet has said, "Sitaron ke aage jahan aur bhi hain, abhi ishq ke imtehaan aur bhi hain": Dr. Manmohan Singh at Venkaiah Naidu's book launch pic.twitter.com/KhXU82WIsX
— ANI (@ANI) September 2, 2018
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बता दें कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने पुस्तक में 465 चित्रों के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों, यात्रा विवरण और विभिन्न सम्मेलनों के अनुभव साझा किये हैं. उल्लेखनीय है कि नायडू ने गत वर्ष 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की थी. गत 10 अगस्त को उन्होंने संसद के मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन की समापन बैठक को संबोधित करते हुये बताया था कि वह अपने पहले वर्ष के कार्यकाल के अनुभवों पर एक पुस्तक लिख रहे हैं. पुस्तक में नायडू ने अपनी नयी भूमिका के बारे में लिखा है कि उन्होंने देश के इतिहास के एक रोचक मोड़ पर उपराष्ट्रपति पद ग्रहण किया है. इस दौर को उन्होंने अदम्य चुनौतियों और असीमित अवसरों का कालखंड बताते हुये कहा कि वह भाग्यशाली हैं, कि जब उन्हें इस नयी भूमिका में देश और नागरिकों की सेवा करने का अवसर मिला है.
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राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने अनुभवों के बारे में नायडू ने पुस्तक में पहले दो सत्रों में अपेक्षित कामकाज नहीं हो पाने के कारण निराशा व्यक्त की है. लेकिन मानसून सत्र में इस बार बेहतर कामकाज होने का हवाला देते हुये उन्होंने भविष्य के नयी शुरूआत होने की उम्मीद जताई है.