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हार्वर्ड में विदेशी छात्रों को 'ना' से किसे कितना नुकसान? ट्रंप के फैसले का भारत से ज्यादा चीन पर होगा असर

Foreign Students in Harvard University: डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को विदशी छात्रों के दाखिले पर 15 फीसदी की सीमा लगानी चाहिए. ट्रंप के इस फैसले का भारत पर क्या असर पड़ेगा. जानिए...

हार्वर्ड में विदेशी छात्रों को 'ना' से किसे कितना नुकसान? ट्रंप के फैसले का भारत से ज्यादा चीन पर होगा असर
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी.

Foreign Students in Harvard University: अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ना सपना सच होने जैसा है. इस यूनिवर्सिटी की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में की जाती है. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ने लगी है. हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर 15 फीसदी की सीमा लगाने की बात कही है. ट्रंप के इस फैसले का विरोध हो रहा है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी ट्रंप प्रशासन के फैसले को गैरकानूनी बताया है. लेकिन ट्रंप का यह फैसला यदि लागू होता तो किस देश को कितना नुकसान होगा? इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा? आंकड़ों के जरिए पूरी कहानी. 

ट्रंप का दावा- हार्वर्ड में 31 फीसदी छात्र विदेशी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर एक बार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया है . ट्रंप ने दावा किया कि हार्वर्ड में पढ़ने वाले 31 फीसदी छात्र विदेशी हैं . ट्रंप ने कहा कि हार्वर्ड को विदशी छात्रों के दाखिले पर 15 फीसदी की सीमा लगानी चाहिए .

हार्वर्ड में इस समय दुनिया भर के 150 देशों के 10518 छात्र

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इस समय दुनियाभर के 150 देशों के 10,158 छात्र पढ़ रहे हैं . अगर हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के दाखिले पर 15 फीसदी सीमा लगाई तो इसका नुकसान सबसे ज्यादा किस देश के छात्रों को होने वाला है ? इसे आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं .

भारत के करीब 8 तो चीन के छात्र 21 फीसदी

सत्र 2024-25 में कुल विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 8 फीसदी है जबकि चीनी छात्रों की संख्या 21 फीसदी . यानि कि ट्रंप अपनी बात पर अड़े रहे तो इस फैसले का सबसे ज्यादा नुकसान चीन को होने वाला है भारत को नहीं.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में किस देश से कितने छात्र?

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हार्वर्ड में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या पिछले 5 सालों में 500 से 800 के बीच रही है. जबकि कुल विदेश छात्रों की संख्या 7500 से 10,000 के करीब.

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हार्वर्ड में भारतीय छात्रों की संख्या भले ही कम रही हो पर पूरे USA में ये संख्या लगातार बढ़ती रही है . पिछले सत्र में चीन का पछाड़ कर USA में सबसे ज्यादा विदेशी छात्र भारत से पढ़ने के लिए आए. कुल विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों का हिस्सा 29 फीसदी से भी अधिक था.

साल दर साल USA में कैसे बढ़े भारतीय छात्र

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इतनी बड़ी संख्या में पढ़ने भारतीय छात्र अमेरिका आ रहे हैं लेकिन ये जानना भी दिलचस्प रहेगा कि उनके पसंदीदा कोर्स क्या हैं ? USA में पढ़ने वाले 43 फीसदी भारतीय छात्र गणित और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे हैं . इसके बाद लगभग एक चौथाई छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे . बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या 11 फीसदी है.

अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों का पसंदीदा कोर्स

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अमेरिका जाने का सपना लिए भारतीय छात्रों को आजकल मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है . उसकी वजह है ट्रंप सरकार का फिलहाल स्टूडेन्ट वीजा पर रोक लगा देना . लेकिन आंकड़े ये बताते हैं कि पिछले साल से भारत के छात्र दूसरे देशों की तरफ भी रुख कर रहे हैं.

अमेरिका से ज्यादा जर्मनी, रूस जा रहे भारतीय स्टूडेंट

इन देशों में भारतीय छात्रों के दाखिले में खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है . 2023 के मुकाबले 2024 में 49 फीसदी ज्यादा भारतीय छात्र जर्मनी पढ़ने गए. रूस के लिए ये आंकड़ा 34 फीसदी रहा और आयरलैंड के लिए 30 फीसदी रहा . सिंगापुर और न्यूजीलैंड जैसे देश भी भारतीय छात्रों की पसंद बन कर उभरे हैं. साफ है कि USA , UK और कनाडा जैसे देशों से इतर भी भरतीय छात्र अपना विकल्प तलाश रहे हैं .

USA, UK और कनाडा जैसे देशों से इतर भी भरतीय छात्र तलाश रहे अपना विकल्प

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इन आंकड़ों से साफ जाहिर है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर ट्रंप प्रशासन के फैसलों से भारत से ज्यादा असर चीन को पड़ेगा. जहां तक रही भारतीय छात्रों की बात तो भारतीय संसद में दी गई जानकारी यह साफ करती है कि भारत के छात्र अब विदेशों में पढ़ाई के लिए जर्मनी, रुस, सिंगापुर जैसे देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं. 

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