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NDTV Exclusive: क्या हार्वर्ड अपने आप को बचा पाएगा? ट्रंप के बैन पर विदेशी छात्र बोले- उम्मीदें जिंदा है

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ट्रंप प्रशासन के निशाने पर है. हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने कई फैसले लिए जिससे यहां पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की चिंता बढ़ गई है. पढ़िए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एनडीटीवी की विशेष रिपोर्ट.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एनडीटीवी की स्पेशल रिपोर्ट.

NDTV Report on Harvard University: अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में की जाती है. हार्वर्ड से पढ़ाई करना बहुत बड़ी बात मानी जाती है. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ने लगी है. हाल ही में ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विदेशी छात्रों को एडमिशन देने के अधिकार पर भी रोक लगा दी है. साथ ही ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाली 2.2 बिलियन डॉलर के फंड को रोक दिया है. 

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से NDTV की स्पेशल रिपोर्ट

ट्रंप सरकार के इन फैसलों से हार्वर्ड के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. यहां पढ़ने वाले विदेशी छात्र भी चिंतित हैं. ट्रंप प्रशासन के सख्त फैसलों के बीच NDTV हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचा. इस दौरान वहां पढ़ने वाले कई विदेशी छात्रों ने बातचीत में अपनी राय रखी. 

इस बातचीत में कुछ छात्रों ने कहा कि ट्रंप सरकार का प्रतिबंध सजा जैसा लगता है. तो कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि तमाम मुश्किलों के बाद हार्वर्ड प्रशासन के रूख से हमारी उम्मीदें जिंदा है. 

कजाकिस्तान के छात्र बोले- यह प्रतिबंध सजा की तरह

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने वाले कजाकिस्तान के छात्र सुल्तानाली नूरमानुली ने NDTV से कहा कि यह प्रतिबंध एक सज़ा की तरह लगता है. यहां पढ़ने वाले कई छात्रों ने कहा कि हार्वर्ड की जो प्रतिष्ठा है, वो बची रहेगी. वहीं कुछ छात्रों को इस बात का डर भी है कि ट्रंप के प्रतिबंध के बाद यहां नए विदेशी छात्र नहीं पहुंचेंगे. 

कजाकिस्तान के छात्र सुल्तानाली नूरमानुली ने कहा कि हम निश्चित रूप से अन्याय जैसा महसूस करते हैं. यह हार्वर्ड है, अन्य स्कूलों में छात्र गतिविधियाँ थीं जिनकी ट्रम्प प्रशासन आलोचना कर रहा था. 

नूरमानुली ने आगे कहा, "मैं खुद की बात बताता हूं, मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो देश और पूरी दुनिया के राजनीतिक माहौल में शामिल नहीं था. शायद मुझे और अधिक शामिल होना चाहिए था... लेकिन मैं नहीं था, और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो इसमें बहुत अधिक शामिल नहीं था, यह मेरे लिए सजा जैसा लगता है. भले ही मैंने कुछ भी नहीं किया हो. मैं इस बात से सहमत हूं कि यहां छात्र वीजा प्राप्त करना और यहां अध्ययन करने का अवसर प्राप्त करना एक विशेषाधिकार है."

नूरमानुली ने आगे कहा कि जो छात्र अभी-अभी हार्वर्ड में प्रवेश पाए हैं, वे बहुत पीड़ित है. हार्वर्ड ने कुछ महीने पहले एडमिशन लेने वाले नए छात्रों के लिए कुछ ईमेल भेजे थे कि उन्हें अन्य स्कूलों में भी दाखिला लेना चाहिए. ताकि उन्हें वीज़ा संबंधी कोई समस्या न हो. 

उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "मैं तीन साल का एक्सटेंशन लेने जा रहा हूं, जिससे मैं एच1बी वीजा - एक वर्क वीजा - के बिना यहां काम कर सकूंगा, जो कंपनियों द्वारा प्रायोजित है. लेकिन अगर मेरा अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा रद्द हो जाता है, तो ओपीटी एक्सटेंशन तुरंत रद्द कर दिया जाएगा. इसलिए हम देखेंगे कि यह कैसे होता है." 

नूरमानुली ने हार्वर्ड से इकोनॉमी में ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने बताया कि हार्वर्ड का माहौल उदारवादी माहौल था. यह काफी स्वागतयोग्य था. हार्वर्ड कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की उपस्थिति बहुत ज़्यादा नहीं है. मुझे लगता है कि यह 10 से 15 प्रतिशत है. 

अमेरिकी शीर्ष विश्वविद्यालयों पर ट्रंप की कार्रवाई

  • डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालयों पर की गई कार्रवाई ने रिपब्लिकन नेता के दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण करने के कुछ महीनों के भीतर ही अधिक आक्रामक रुख अपना लिया है. 
  • ट्रंप ने विवि परिसरों में यहूदी-विरोधी भावना को खत्म करने और अपनी मांगों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, ने अपने पूर्ववर्ती जो बिडेन पर विश्वविद्यालयों को छूट देने का आरोप भी लगाया था.
  • हार्वर्ड पिछले महीने पहली बार इस कार्रवाई का शिकार हुआ था, जब व्हाइट हाउस ने संघीय वित्त पोषण पर 2.2 बिलियन डॉलर की रोक लगा दी थी. ट्रंप ने संघीय वित्त पोषण पर प्रतिबंध हटाने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं, लेकिन हार्वर्ड ने इनकार कर दिया.
  • पिछले हफ़्ते, प्रशासन ने विश्वविद्यालय को एक पत्र भेजा था, जिसमें विश्वविद्यालय में चल रही जांच के बीच आइवी लीग की अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की क्षमता पर प्रतिबंध लगाया गया था.
  • इसमें यह भी उल्लेख किया गया था कि हार्वर्ड अभी भी सरकार के प्रतिबंध को पलट सकता है और विदेशी छात्रों को दाखिला दे सकता है - अगर वे 72 घंटों के भीतर ट्रम्प की शर्तों को पूरा करते हैं. हालाँकि, विश्वविद्यालय ने फिर से इनकार कर दिया.

हार्वर्ड प्रशासन ने कहा- हम 140 देशों से आने वाले छात्रों की मेजबानी के लिए प्रतिबद्ध

अमेरिकी सरकार का पत्र प्राप्त करने के तुरंत बाद हार्वर्ड ने ट्रम्प प्रशासन की आलोचना की और इस कदम को "गैरकानूनी" कहा. हार्वर्ड के प्रवक्ता जेसन न्यूटन ने अपने बयान में कहा- "हम 140 से अधिक देशों से आने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और विद्वानों की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. यह प्रतिशोधात्मक कार्रवाई हार्वर्ड समुदाय और हमारे देश को गंभीर नुकसान पहुँचाने की धमकी देती है. हार्वर्ड के शैक्षणिक और शोध मिशन को कमजोर करती है. 

 (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से नताशा इसरानी की रिपोर्ट)

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