विदेश मंत्री एस. जयशंकर (s. Jaishankar) ने शुक्रवार को कहा कि बातचीत और कूटनीति के माध्यम से यूक्रेन (Ukraine) संघर्ष के शीघ्र समापन पर जोर देने के मामले में, भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) विशेष रूप से विकासशील देशों को लेकर ‘दुनिया की आवाज' बन गए हैं.उन्होंने कहा कि भारत इस संघर्ष में भारतीय नागरिकों के कल्याण का ‘पक्ष' लिया और वह उन देशों में शामिल है, जिनके साथ सभी पक्ष अपने विचार साझा कर रहे हैं.
एक चैनल के कार्यक्रम में यह पूछे जाने पर कि भारत किसका समर्थन कर रहा है, जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों की भलाई को ध्यान में रखा है.''जयशंकर ने कहा कि कई सारे देश बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इस संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करने पर जोर दे रहे हैं, क्योंकि इसका प्रभाव खाद्य, ऊर्जा और उर्वरकों की कीमतों पर महसूस किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि खासकर विकासशील देशों के संदर्भ में आज भारत और प्रधानमंत्री मोदी एक तरह से दुनिया की आवाज बन गए हैं, क्योंकि इसका (संघर्ष) प्रभाव विकासशील देशों द्वारा महसूस किया जा रहा है.''यह पूछे जाने पर कि क्या संघर्ष खत्म करने में भारत शांतिदूत बन सकता है, जयशंकर ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में कुछ भी कहना मुश्किल है.'' हालांकि उन्होंने कहा कि यह स्थिति पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कम से कम यह कह सकता हूं कि कुछ देश ऐसे हैं जिनके साथ सभी पक्ष अपने विचार साझा करते हैं. हम इन देशों में से हैं.''
जी-20 में भारत की अध्यक्षता के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने इसे गर्व की बात बताया और कहा कि केंद्र को सभी राज्यों और अन्य हितधारकों का समर्थन प्राप्त है.कुछ विपक्षी नेताओं के उन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि सरकार समूह में भारत की अध्यक्षता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है, विदेश मंत्री ने कहा कि वे अपने विचार रखने के हकदार हैं.
उन्होंने कहा कि ‘‘जी20 राजनीति का विषय नहीं है और यह विवाद का विषय भी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘देशभर में यह राय है कि जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता हम सभी के लिए गर्व की बात होगी.''पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद पर उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद कुछ नतीजे सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि 2020 में तनाव बढ़ने के बाद क्षेत्र में भारत ने जो सैन्य तैनाती की , उसी के कारण से नतीजे सामने आये हैं.
पाकिस्तान के साथ संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को कभी भी सामान्य नहीं माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप एक ऐसा उदाहरण दे सकते हैं, जिसमें एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी के खिलाफ दिन-रात आतंकवाद का सहारा ले रहा हो?''उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह कभी स्वीकार नहीं करना चाहिए कि किसी भी देश को आतंकवाद का समर्थन करने का कोई अधिकार है.''
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों और कुछ टूर्नामेंट के लिए क्रिकेट खिलाड़ियों के एक-दूसरे के देश जाने की आवश्यकता के बारे में सरकार की राय के संबंध में पूछे जाने पर जयशंकर ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, ‘‘टूर्नामेंट होते रहते हैं. देखते हैं.''
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