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This Article is From Jan 04, 2023

2022 में असम में एक भी गैंडे का शिकार नहीं हुआ, 20 साल में पहली बार हुआ ऐसा

2013 और 2014 में कम से कम 27 गैंडों का अवैध शिकार, राज्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया था. 2016 में कम से कम 18 गैंडे मारे गए थे.

2022 में असम में एक भी गैंडे का शिकार नहीं हुआ, 20 साल में पहली बार हुआ ऐसा
हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि 2022 में असम में एक भी गैंडे का शिकार नहीं किया गया.
असम:

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि 2022 में असम में एक भी गैंडे का शिकार नहीं किया गया. सशस्त्र कमांडो और वन कर्मियों द्वारा कड़ी निगरानी के साथ-साथ "परिष्कृत तकनीक" के उपयोग से असम को यह लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली. हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य ने कम से कम 20 साल बाद यह उपलब्धि हासिल की है. "शायद 20-25 साल हो गए हैं, जब असम ने एक साल में एक भी गैंडे का शिकार नहीं होने की सूचना दी है."

आखिरी अवैध शिकार की घटना 28 दिसंबर, 2021 को गोलाघाट जिले के हिलाकुंडा, कोहोरा में हुई थी. जून 2021 में, असम सरकार ने विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) जीपी सिंह की अध्यक्षता में 22 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया और शिकारियों के खिलाफ सतर्कता और सख्त कार्रवाई के लिए सशस्त्र कमांडो तैनात किए. सरकार ने अवैध शिकार की जांच के लिए अतिरिक्त रूप से 22 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसमें कम से कम 11 जिलों के वरिष्ठ वन अधिकारी और एसपी और छह वन्यजीव प्रभागों के प्रभागीय वन अधिकारी शामिल थे. इन जिलों में गोलाघाट, नागांव, कार्बी आंगलोंग, बिश्वनाथ, सोनितपुर, दारंग, मोरीगांव, बक्सा, चिरांग, बारपेटा और माजुली शामिल हैं.

2013 और 2014 में कम से कम 27 गैंडों का अवैध शिकार, राज्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया था. 2016 में कम से कम 18 गैंडे मारे गए थे. इसके बाद 2021 में केवल एक गैंडे के अवैध शिकार के साथ संख्या में कमी आई. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान अब 2,613 गैंडों का घर है और राष्ट्रीय उद्यान प्राधिकरण द्वारा नवीनतम जनगणना के आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या बढ़ रही है. शिकारियों को स्पष्ट रूप से यह संदेश देने के लिए कि गैंडे के सींग का कोई औषधीय या मौद्रिक मूल्य नहीं है, असम सरकार ने सितंबर में सार्वजनिक रूप से 2,479 सींगों के भंडार को जला दिया था. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तब कहा था, "गैंडों के सींगों का औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग एक मिथक है."

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