नई दिल्ली:
देश की तीन-चौथाई आबादी को बेहद सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के प्रावधान वाला बहुप्रतीक्षित खाद्य सुरक्षा विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किया गया।
विधेयक पेश करने के साथ सरकार ने विपक्ष की इन आशंकाओं को नकार दिया कि इससे राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण होगा। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने इस संबंध में 5 जुलाई को जारी किए गए अध्यादेश और पूर्व में पेश किए गए विधेयक को वापस लेते हुए नया विधेयक पेश किया।
देश की 80 करोड़ आबादी को प्रति माह एक से तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम खाद्यान्न का अधिकार देने के प्रावधान वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक 2013 को पेश करते हुए थॉमस ने कहा कि इसमें राज्यों के खिलाफ जाने जैसी कोई बात नहीं है।
उन्होंने तमिलनाडु के अन्नाद्रमुक और डीएमके दलों द्वारा नए विधेयक को लेकर जताई गई आशंकाओं के संबंध में कहा, यह राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं है। यह संविधान के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान किसी भी चिंता को रखा जा सकता है।
इससे पूर्व अन्नाद्रमुक के एम थम्बीदुरई ने यह कहते हुए विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया कि यह संविधान और संघीय व्यवस्था के खिलाफ है। उन्होंने कहा, यह खाद्य सुरक्षा विधेयक नहीं है, बल्कि यह वास्तव में खाद्य असुरक्षा विधेयक है। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इसे राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लाया जाना चाहिए था।
विधेयक पेश करने के साथ सरकार ने विपक्ष की इन आशंकाओं को नकार दिया कि इससे राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण होगा। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने इस संबंध में 5 जुलाई को जारी किए गए अध्यादेश और पूर्व में पेश किए गए विधेयक को वापस लेते हुए नया विधेयक पेश किया।
देश की 80 करोड़ आबादी को प्रति माह एक से तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम खाद्यान्न का अधिकार देने के प्रावधान वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक 2013 को पेश करते हुए थॉमस ने कहा कि इसमें राज्यों के खिलाफ जाने जैसी कोई बात नहीं है।
उन्होंने तमिलनाडु के अन्नाद्रमुक और डीएमके दलों द्वारा नए विधेयक को लेकर जताई गई आशंकाओं के संबंध में कहा, यह राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं है। यह संविधान के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान किसी भी चिंता को रखा जा सकता है।
इससे पूर्व अन्नाद्रमुक के एम थम्बीदुरई ने यह कहते हुए विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया कि यह संविधान और संघीय व्यवस्था के खिलाफ है। उन्होंने कहा, यह खाद्य सुरक्षा विधेयक नहीं है, बल्कि यह वास्तव में खाद्य असुरक्षा विधेयक है। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इसे राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लाया जाना चाहिए था।
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