दिल्ली सरकार के तीन प्रमुख अस्पतालों में बीते साढ़े छह साल में औसतन हर दो दिन में पांच नवजात शिशुओं ने दम तोड़ा. इस प्रकार इस अवधि में कुल 6204 नवजातों की मौत हुई. यह जानकारी जीटीबी के अलावा लाल बहादुर शास्त्री (एलबीएस) अस्पताल और दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल ने ‘पीटीआई-भाषा' की ओर से सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर अलग-अलग आवेदनों के जवाब में उपलब्ध कराई है.
आवेदनों में जानकारी मांगी गई थी कि इन अस्पतालों में जनवरी 2017 से जुलाई 2023 के बीच कितने बच्चों का जन्म हुआ और कितने बच्चों की मौत हुई तथा मृत्यु के कारण क्या थे? लेकिन तीन में से दो अस्पतालों ने सिर्फ शिशुओं के जन्म और मृत्यु का आंकड़ा उपलब्ध कराया है और केवल एक अस्पताल ने मौतों का कारण भी बताया है.
दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में भी आरटीआई के तहत आवेदन दायर कर बच्चों की मृत्यु की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन अस्पताल ने प्रथम अपीलीय अधिकारी के निर्देश के बावजूद अब तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है. हालांकि अस्पताल ने जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या जरूर उपलब्ध कराई है.
इसके मुताबिक, इन तीनों अस्पतालों में हर महीने करीब 78 बच्चों की मौत हुई यानी हर दो दिन में पांच बच्चों की जान इन अस्पतालों में चली गई . यह एक हजार शिशुओं के जन्म पर 29.3 का औसत है जबकि दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में शिशु मृत्यु दर 2022 में 23.82 थी और 2021 में 23.60 थी.
उन्होंने कहा कि इन मौतों की संख्या नवजात शिशु देखभाल केंद्रों के जरिए कम की जा सकती है और सरकार को हर पांच-सात किलोमीटर पर नवजात शिशु देखभाल केंद्रों की स्थापना करने पर ध्यान देना चाहिए.
डॉक्टर मित्तल ने कहा कि 2020 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की शिशु मृत्यु दर प्रति हजार जीवित बच्चों पर 28 थी और भारत शिशु मृत्यु दर के मामले में विश्व में 49वें स्थान पर है.
उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में श्रीलंका, बांग्लादेश वियतनाम और भूटान जैसे देशों की स्थिति हमसे बेहतर है.''
जीटीबी अस्पताल ने आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया कि जनवरी 2017 से जुलाई 2023 के बीच उसके यहां कुल 1,06,551 शिशुओं का जन्म हुआ जिनमें से 3958 (आईयूडी एवं मृत बच्चा पैदा होने के मामले) शिशुओं की मौत हुई. इस अस्पताल में नवजात शिशु मृत्यु दर करीब 37.1 थी.
लेकिन जीटीबी ने न तो नवजातों की मृत्यु का कारण बताया और न ही उनके जन्म और मृत्यु का वार्षिक ब्यौरा दिया.
एलबीएस अस्पताल ने बताया कि उसके यहां 2017 में 7241 शिशुओं का जन्म हुआ जिनमें से 102 नवजात की मौत हो गई. वहीं, 2018 में जन्में 7593 में से 120, 2019 में 7224 में से 108, 2020 में 7506 में से 139, 2021 में 7023 में से 131, 2022 में 8036 में से 113 और 2023 में जुलाई तक जन्में 3950 शिशुओं में से 47 की मौत हो गई.
वहीं, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में जनवरी 2017 से जुलाई 2023 के बीच 1486 नवजातों की मौत हुई जबकि इस दौरान अस्पताल में 56,393 शिशुओं का जन्म हुआ. अस्पताल में शिशु मृत्यु दर 26.3 रही.
वहीं, 2018 में जन्में 9798 शिशुओं में से 138, 2019 में 10,748 में से 212, 2020 में 7432 में से 285, 2021 में 6358 में से 247, 2022 में 8266 में से 241 और जुलाई 2023 तक जन्मे 4131 शिशुओं में से 150 शिशुओं की मृत्य हो गई. इस अस्पताल ने शिशुओं की मौत का कोई कारण नहीं बताया है.
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