विज्ञापन
This Article is From Apr 01, 2023

दुनिया में पहला केस : कोलकाता में एक व्यक्ति पौधों के फंगस से संक्रमित हुआ

रोगी एक पेशेवर प्लांट माइकोलॉजिस्ट है, उसने सड़ने वाली सामग्री, मशरूम और विभिन्न पौधों के फंगस पर रिसर्च करते हुए काफी समय बिताया था.

दुनिया में पहला केस : कोलकाता में एक व्यक्ति पौधों के फंगस से संक्रमित हुआ
रोगी के सीटी स्कैन से पता चला था कि उसको एक पैराट्रैचियल फोड़ा है.

कोलकाता में एक माइकोलॉजिस्ट कवक से होने वाले रोग (fungal disease) से  संक्रमित मिला है. यह ऐसा पहला केस है जिसमें आमतौर पर पौधों पर शोध करने वाला कोई व्यक्ति पौधों से ही संक्रमित हुआ है. शोधकर्ताओं के अनुसार, इससे यह स्पष्ट हुआ है कि पौधों के फंगस के निकट संपर्क में रहने पर पौधों के संक्रमण मनुष्यों में भी फैल सकते हैं.

इस केस स्टडी पर डॉक्टरों की एक रिपोर्ट आई है जो मेडिकल माइकोलॉजी केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई है. संक्रमित व्यक्ति 61 साल का है. उसकी आवाज कर्कश हो गई जिसके बाद वह कोलकाता के एक अस्पताल में गया था. उसे तीन माह से खांसी, थकान और निगलने में कठिनाई की शिकायत थी.

डॉक्टरों के अनुसार, "मरीज को पिछले तीन महीनों से निगलने में कठिनाई और एनोरेक्सिया का भी सामना करना पड़ रहा था."

उन्होंने कहा कि, "उनका मधुमेह, एचआईवी संक्रमण, गुर्दे की बीमारी, किसी भी पुरानी बीमारी, इम्यूनसुप्रेसिव दवा का सेवन करने या आघात का कोई इतिहास नहीं था. रोगी पेशे से एक प्लांट माइकोलॉजिस्ट है और वह सड़ने वाली सामग्री, मशरूम और विभिन्न पौधों के फंगस पर लंबे समय से काम कर रहा था. यह उसकी रिसर्च संबंधी गतिविधियों का हिस्सा था."

कोलकाता के अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स की शोधकर्ता डॉ सोमा दत्ता और डॉ उज्ज्विनी रे ने रिपोर्ट में बताया है कि "चोंड्रोस्टेरियम परप्यूरियम एक प्लांट फंगस है जो पौधों में सिल्वर लीफ डिसीज का कारण बनता है, विशेष रूप से गुलाब के पौधों में. यह इंसान में बीमारी पैदा करने वाले पौधे के फंगस का पहला उदाहरण है. पारंपरिक तकनीक (माइक्रोस्कोपी और कल्चर) फंगस की पहचान करने में विफल रही."

उन्होंने कहा कि, "केवल सीक्वेंसिंग के जरिए ही इस असामान्य रोगजनक की पहचान की जा सकती है. यह मामला मनुष्यों में बीमारी पैदा करने के लिए इनवायरांमेंटल प्लांट फंगस की क्षमता पर प्रकाश डालता है और कॉजेटिव फंगस स्पिसीज की पहचान करने के लिए मॉलीक्युलर टेक्ननीक के महत्व पर जोर देता है."

शोधकर्ताओं के अनुसार, "सड़ने वाली सामग्री के बार-बार संपर्क में आना इस दुर्लभ संक्रमण का कारण हो सकता है. यह फंगल संक्रमण मैक्रोस्कोपिक और माइक्रोस्कोपिक मॉर्फोलॉजी से स्पष्ट था, लेकिन संक्रमण की प्रकृति, प्रसार करने की क्षमता आदि का पता नहीं लगाया जा सका."

डॉक्टरों के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति की गर्दन में फोड़े का पता चला. उसे निकालने के लिए ऑपरेशन किया गया. इसके बाद एक्स-रे में कुछ भी असामान्य नहीं निकला और फिर रोगी को एंटीफंगल दवा का कोर्स दिया गया.

शोधकर्ताओं ने लिखा है कि, "दो साल के फॉलो-अप के बाद रोगी बिल्कुल ठीक हो गया और उसके फिर से संक्रमित होने का कोई सबूत नहीं है." 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
दिल्ली, यूपी, बिहार सहित जानिए किन राज्यों में आज भी होगी झमाझम बरसात?
दुनिया में पहला केस : कोलकाता में एक व्यक्ति पौधों के फंगस से संक्रमित हुआ
भर्ती परीक्षा में नकल रोकने की कोशिश, असम में आज तीन घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट रहेगा बंद
Next Article
भर्ती परीक्षा में नकल रोकने की कोशिश, असम में आज तीन घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट रहेगा बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com