
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को व्यावहारिक और आदर्श न मानने का संकेत दिया है.
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिवाली और अन्य त्योहारों पर बच्चों को पटाखे फोड़ने की अनुमति देने का आग्रह किया.
- कोर्ट ने पूछा कि 2018 में लागू प्रतिबंध के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक में कोई ठोस सुधार हुआ है या नहीं.
Firecracker Ban in Delhi or Not: सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली-एनसीआर में पटाखे पर बैन को लेकर दिलचस्प दलील देखने को मिली.शीर्ष अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील देते हुए कहा कि बच्चे को दो दिन जश्न मनानी दीजिए. यह सिर्फ दीवाली, गुरुपर्व और क्रिसमस जैसे त्योहारों के लिए है. इसके बाद मेहता ने आग्रह किया कि ''मेरे भीतर का बच्चा आपके (न्यायाधीशों) भीतर बैठे बच्चे को मनाने की कोशिश कर रहा है. मेहता ने आग्रह किया कि कुछ दिनों के लिए प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने रोक पर ढील देने के दिए संकेत
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आज कहा कि दिल्ली-NCR में पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना ‘‘न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श स्थिति है'', क्योंकि ऐसे प्रतिबंधों का अक्सर उल्लंघन होता है और सभी पक्षों के हितों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है.चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने दिल्ली और NCR में ‘‘हरित'' पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति दिये जाने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए ये टिप्पणियां कीं. इन टिप्पणियों से प्रतिबंध में ढील का संकेत मिलता है.
कोर्ट ने पूछा क्या AQI में कोई ठोस फर्क पड़ा
NCR में दिल्ली के साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के कई जिले आते हैं. केंद्र और एनसीआर राज्यों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को दिवाली और अन्य त्योहारों पर बिना किसी समय सीमा प्रतिबंध के पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. दिल्ली-एनसीआर में 2018 से लागू पूर्ण प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए पीठ ने अधिकारियों और अन्य के वकील से पूछा कि क्या प्रतिबंध से कोई ठोस फर्क पड़ा है या AQI में कमी आई है.
सही संतुलन बनाने की आवश्यकता- SC
चीफ जस्टिस ने पूछा, ‘‘क्या 2018 के बाद से वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार हुआ है या यह खराब हुआ है? क्या तब प्रदूषण अब की तुलना में बहुत कम था? सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आंकड़ों के अनुसार, प्रदूषण का स्तर ‘‘लगभग समान'' ही रहा है, सिवाय कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान, जब औद्योगिक और वाहन गतिविधियां रुकी हुई थी. प्रतिबंध में ढील देने का संकेत देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि इसमें सभी पक्षों के हितों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध ‘‘न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श'' और व्यवहार में अक्सर ऐसे प्रतिबंधों से बचा जाता है.
आदेश सुरक्षित रखने से पहले पीठ ने सुनी सभी हितधारकों की दलीलें
आदेश सुरक्षित रखने से पहले पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार और एनसीआर राज्यों, पटाखा निर्माताओं, पर्यावरणविदों और न्यायमित्र समेत विभिन्न हितधारकों की व्यापक दलीलें सुनीं. केंद्र और एनसीआर राज्यों की ओर से पेश हुए मेहता ने पीठ से एक ‘‘संतुलित दृष्टिकोण'' अपनाने का आग्रह किया, जो श्रमिकों की आजीविका के अधिकार और नागरिकों के त्योहार मनाने के अधिकार दोनों की रक्षा करे, साथ ही इससे पर्यावरण सुरक्षा उपायों का पालन सुनिश्चित हो सके.
राज्य सरकार के वकील ने क्या दी दलीलें
- मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘हमने संतुलित समाधान निकाले जाने वाले सुझाव दिए हैं.'' उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) द्वारा अनुमोदित केवल हरित पटाखों के निर्माण और बिक्री की सख्त निगरानी में अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा कि दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नये साल की पूर्व संध्या जैसे कुछ मौकों पर हरित पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए और इसके लिए कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए.
- मेहता ने कहा कि केवल नीरी और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन द्वारा प्रमाणित पटाखों का ही निर्माण और बिक्री की जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्रकार के संयुक्त पटाखे या 'लड़ी'' न तो बनाए जाएं और न ही इस्तेमाल किए जाएं. उन्होंने सुझाव दिया कि पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के माध्यम से ही की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि केवल उन्हीं पटाखों की बिक्री हो, जिनकी अनुमति दी गई है.
- उन्होंने कहा, ‘‘एनसीआर राज्यों की सरकारों, दिल्ली सरकार और पीईएसओ द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि समेत कोई भी ई-कॉमर्स वेबसाइट कोई भी ऑनलाइन ऑर्डर स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि पीईएसओ और नीरी समय-समय पर विनिर्माण इकाइयों का निरीक्षण करेंगे, ताकि अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके और हरित पटाखा मानदंडों का उल्लंघन करने वाली किसी भी इकाई को तुरंत सील कर दिया जाएगा.
चीफ जस्टिस ने क्या कुछ कहा
इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर वायु गुणवत्ता की स्थिति समान है, तो एक चीज होती है, जिसे ‘‘न्यायिक मर्यादा'' कहा जाता है, और जब एक पीठ ने सभी पहलुओं पर विचार कर लिया हो, तो दूसरी पीठ उस पर पुन: निर्णय नहीं ले सकती.चीफ जस्टिस ने यह भी सवाल उठाया कि प्रतिबंध हरियाणा और एनसीआर जिलों के कुछ हिस्सों तक ही क्यों सीमित है. उन्होंने कहा, ‘‘केवल कुछ जिलों में ही प्रतिबंध क्यों होने चाहिए? क्या यह पूरे हरियाणा राज्य पर लागू नहीं होना चाहिए?''
ग्रीन क्रैकर निर्माताओं के वकील ने क्या दी दलीलें
ग्रीन क्रैकर निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने दलील दी कि कुछ एनसीआर क्षेत्रों में ‘‘बिना परामर्श'' के व्यापक प्रतिबंध लगाया गया है और यह हरित पटाखों की अनुमति देने वाले 2017 और 2018 के फैसलों के विपरीत है. परमेश्वर ने कहा, ‘‘ग्रीन क्रैकर के अलावा किसी भी चीज की अनुमति नहीं होगी और यह बात न्यायालय ने 2017 में स्वयं कही थी.'' उन्होंने यह भी बताया कि निर्माताओं ने नीरी द्वारा अनुमोदित फॉर्मूले के आधार पर पर्यावरण अनुकूल पटाखे बनाने के लिए संयंत्र स्थापित करने में ‘‘भारी निवेश'' किया है, और अनुपालन के बावजूद उद्योगों को अनुचित रूप से दंडित किया जा रहा है.
एक अन्य वकील ने दलील दी कि दिल्ली में ज्यादातर प्रदूषण पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन से होता है, न कि त्योहारों के दौरान पटाखों के इस्तेमाल से. उच्चतम न्यायालय ने 26 सितंबर को प्रमाणित विनिर्माताओं को इस शर्त पर हरित पटाखे बनाने की अनुमति दी थी कि इनकी बिक्री दिल्ली-एनसीआर में बिना मंजूरी के नहीं की जाएगी. इसने केंद्र से दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के विनिर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध पर नये सिरे से विचार करने को भी कहा था.
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