नई दिल्ली:
"सबको खत्म कर दो" - निपटा दो सब - यह स्वर तब उभरता है जब वॉकी-टॉकी पर दूसरी तरफ से आवाज आती है कि "पांच तो मर गए". कुछ और भी बातचीत होती है : तीन आदमी अभी जिंदा हैं. उन्हें गोली मारने की जरूरत है.
कुछ ही देर में अपडेट आता है कि सभी आठ लोगों को मार दिया गया है ("आठों मारे गए"). इसके बाद जश्न मनाया जाता है. "सर, बधाई हो, आठों मारे गए. "बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया," "उन्हें बता दिया गया है," "हम वहां पहुंच रहे हैं."
घटना से जुड़े कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें आठ सदस्य बिना हथियारों के दिखाई दे रहे हैं और भोपाल से सटे क्षेत्र में उनको बहुत करीब से गोली मारी गई है. वहीं, अब घटना से जुड़ा नया ऑडियो सामने आया है जिसमें पुलिसवाले आपस में बातचीत कर रहे हैं. वॉकी-टॉकी में रिकॉर्ड हुई बातचीत से ऐसा लगता है कि जो सदस्य मारे गए, वे प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य थे और जेल से भाग निकले थे लेकिन पुलिस से सामने होने पर उन्होंने अपनी ओर से गोली नहीं चलाई थी.
(हालांकि एनडीटीवी इन वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग की सत्यता की पुष्टि नहीं करता और इस ऑडियो में कुछ अपशब्द कहे जाने की वजह से इसे प्रसारित नहीं कर रहे हैं)
अन्य पुलिस अधिकारियों और मंत्रियों के बयान से उलट मध्यप्रदेश एटीएस प्रमुख संजीव शमी ने एनडीटीवी से कहा कि भोपाल एनकाउंटर में मारे गए आठों सिमी कैदियों के पास हथियार नहीं थे लेकिन उन्हें मारा जाना आवश्यक था क्योंकि वे खतरा बने हुए थे. शमी ने एनडीटीवी से यह भी कहा, "पुलिस के पास कुछ परिस्थितियों में अधिकतम फोर्स का प्रयोग करने का अधिकार है."
वहीं, देश के शीर्ष मानवाधिकार संगठन ने मध्यप्रदेश सरकार से इस एनकाउंटर पर स्पष्टीकरण मांगा है. सिमी के आठों सदस्यों ने दीवाली की रात का लाभ जेल से भागने के लिए उठाया. उन्होंन कथित तौर पर प्लास्टिक टूथब्रश की बनी चाबी से ताले खोले, गार्ड का हत्या कर दी, उसके बाद 40 चादरों की मदद से इन्होंने एक सीढ़ी भी बनाई, जिसके जरिये 35 फ़ीट ऊंची दीवार पार की. यह वारदात सीसीटीवी में कैद नहीं हुई क्योंकि वे काम नहीं कर रहे थे.
जेल से भागने के बाद आठों सदस्य भोपाल के नजदीक गांव में पहुंचे जहां उन्हें ग्रामीणों ने पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी. तीन पुलिसकर्मी धारदार हथियारों से घायल हुए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार हर जेल-ब्रेकर को कम से कम दो गोली मारी गई. कुछ के पीछे से गोली मारी गई. वहीं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पुलिस की कार्रवाई पर संदेह जताकार विपक्ष आतंकवादियों की मदद कर रहा है.
कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने भी सीएम शिवराज सिंह चौहान के बयान का समर्थन किया है. माना जा रहा है कि नए ऑडियो के लीक हो जाने से मध्यप्रदेश के बाहर किसी एजेंसी से विस्तृत जांच कराने की मांग उठेगी.
कुछ ही देर में अपडेट आता है कि सभी आठ लोगों को मार दिया गया है ("आठों मारे गए"). इसके बाद जश्न मनाया जाता है. "सर, बधाई हो, आठों मारे गए. "बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया," "उन्हें बता दिया गया है," "हम वहां पहुंच रहे हैं."
घटना से जुड़े कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें आठ सदस्य बिना हथियारों के दिखाई दे रहे हैं और भोपाल से सटे क्षेत्र में उनको बहुत करीब से गोली मारी गई है. वहीं, अब घटना से जुड़ा नया ऑडियो सामने आया है जिसमें पुलिसवाले आपस में बातचीत कर रहे हैं. वॉकी-टॉकी में रिकॉर्ड हुई बातचीत से ऐसा लगता है कि जो सदस्य मारे गए, वे प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य थे और जेल से भाग निकले थे लेकिन पुलिस से सामने होने पर उन्होंने अपनी ओर से गोली नहीं चलाई थी.
(हालांकि एनडीटीवी इन वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग की सत्यता की पुष्टि नहीं करता और इस ऑडियो में कुछ अपशब्द कहे जाने की वजह से इसे प्रसारित नहीं कर रहे हैं)
अन्य पुलिस अधिकारियों और मंत्रियों के बयान से उलट मध्यप्रदेश एटीएस प्रमुख संजीव शमी ने एनडीटीवी से कहा कि भोपाल एनकाउंटर में मारे गए आठों सिमी कैदियों के पास हथियार नहीं थे लेकिन उन्हें मारा जाना आवश्यक था क्योंकि वे खतरा बने हुए थे. शमी ने एनडीटीवी से यह भी कहा, "पुलिस के पास कुछ परिस्थितियों में अधिकतम फोर्स का प्रयोग करने का अधिकार है."
वहीं, देश के शीर्ष मानवाधिकार संगठन ने मध्यप्रदेश सरकार से इस एनकाउंटर पर स्पष्टीकरण मांगा है. सिमी के आठों सदस्यों ने दीवाली की रात का लाभ जेल से भागने के लिए उठाया. उन्होंन कथित तौर पर प्लास्टिक टूथब्रश की बनी चाबी से ताले खोले, गार्ड का हत्या कर दी, उसके बाद 40 चादरों की मदद से इन्होंने एक सीढ़ी भी बनाई, जिसके जरिये 35 फ़ीट ऊंची दीवार पार की. यह वारदात सीसीटीवी में कैद नहीं हुई क्योंकि वे काम नहीं कर रहे थे.
जेल से भागने के बाद आठों सदस्य भोपाल के नजदीक गांव में पहुंचे जहां उन्हें ग्रामीणों ने पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी. तीन पुलिसकर्मी धारदार हथियारों से घायल हुए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार हर जेल-ब्रेकर को कम से कम दो गोली मारी गई. कुछ के पीछे से गोली मारी गई. वहीं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पुलिस की कार्रवाई पर संदेह जताकार विपक्ष आतंकवादियों की मदद कर रहा है.
कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने भी सीएम शिवराज सिंह चौहान के बयान का समर्थन किया है. माना जा रहा है कि नए ऑडियो के लीक हो जाने से मध्यप्रदेश के बाहर किसी एजेंसी से विस्तृत जांच कराने की मांग उठेगी.
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