देश के पहले वित्त मंत्री आरके शणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पहला अंतरिम बजट पेश किया. यह बजट 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के था. उन्होंने 28 फरवरी 1948 को आजाद भारत का पहला पूर्ण बजट पेश किया था. इस बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था. यह बजट केवल भारतीय अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा भर था. इसे बनाने में योजना आयोग के सदस्य प्रोफेसर पीसी महालनोबिस की भूमिका अहम थी. इसके बाद जॉन मथाई भारत के वित्तमंत्री बने. उन्होंने दो पूर्ण बजट पेश किया. लेकिन 1950-51 का बजट संसद में पेश होने से पहले ही उसके कुछ हिस्से लीक हो गए. इससे हंगामा मच गया. इस वजह से मथाई को इस्तीफा देना पड़ा. उनके इस्तीफे की वजह प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मतभेद भी था.
कब वित्त मंत्री बने थे जॉन मथाई
आरके षणमुगम चेट्टी के इस्तीफे के बाद जॉन मथाई वित्त मंत्री बनाए गए. उन्होंने 1949-50 और 1950-51 में दो केंद्रीय बजट पेश किए. जॉन मथाई वही व्यक्ति थे जिन्होंने 1944 में जेआरडी टाटा, घनश्याम दास बिड़ला और कस्तूरभाई लालभाई जैसे बड़े उद्योगपतियों के मार्गदर्शन में बॉम्बे प्लान तैयार किया था. इस योजना का उद्देश्य देश में सड़कों, रेलवे और ऊर्जा के क्षेत्रों में बड़े निवेश को बढ़ावा देना था.
दो आम बजट पेश करने के बाद जॉन मथाई का प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मतभेद हो गया.दरअसल मथाई योजना आयोग के बढ़ते प्रभाव से खुश नहीं थे. उन्हें लगता था कि योजना आयोग एक समानांतर कैबिनेट की तरह काम कर रहा है.इससे वित्त मंत्रालय के अधिकार कम हो सकते हैं. कुछ जानकारों का मानना है कि इसी मुद्दे पर उन्होंने सरकार से इस्तीफा दिया और वापस टाटा ग्रुप में लौट गए.
मथाई को क्यों देना पड़ा था इस्तीफा
यह भी कहा जाता है कि 1950 का बजट संसद में पेश होने से पहले ही लीक हो गया था. इस घटना से जबरदस्त हंगामा हुआ. बजट की घटना की वजह से जॉन मथाई को इस्तीफा देना पड़ा था. इस घटना के बजट छापने की परंपरा भी बदली गई. साल 1950 तक बजट राष्ट्रपति भवन में छापा जाता था. लेकिन लीक होने के बाद उसे नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में छापा जाने लगा.लेकिन 1980 के बाद से बजट नॉर्थ ब्लॉक के तहखाने से छप रहा है.
जॉन मथाई योजना आयोग के गठन के खिलाफ थे. उनको लगता था कि योजना आयोग जैसा स्वतंत्र निकाय वित्त मंत्रालय की स्वायत्तता और शक्ति को कमजोर कर सकता है. वहीं नेहरू समाजवादी आर्थिक ढांचे की ओर बढ़ना चाहते थे. उन्होंने योजना आयोग को अर्थव्यवस्था के नियोजन और विकास के लिए जरूरी बताया. मथाई मुक्त बाजार और निजी क्षेत्र को अधिक स्वतंत्रता देने के पक्षधर थे, जबकि नेहरू समाजवादी मॉडल को प्राथमिकता देते थे और वे राज्य नियंत्रित विकास के समर्थक थे . वो चाहते थे कि सरकार नियंत्रण और नियोजन में भूमिका निभाए.
मथाई के इस्तीफे के बाद सीडी देशमुख को नया वित्त मंत्री बनाया गया. इसके साथ ही योजना आयोग को और मजबूती से स्थापित किया गया. इससे भारत में केंद्रीय योजना आधारित अर्थव्यवस्था की नींव रखी गई.
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