इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाने की मांग तो मिडिल क्लास हर बजट में करता आ रहा है, लेकिन इस बार 80सी के तहत छूट को बढ़ाने की मांग भी हो रही है. कारण ये है कि जीएसटी के कारण आम आदमी से लेकर मिडिल क्लास हर चीज पर वैसे ही टैक्स दे रहा है. बचत तो दूर लोग घर चलाने में ही सारी सैलरी फूंक दे रहे हैं. ऐसे में इनकम टैक्स की सीमा और 80 सी में छूट की सीमा बढ़ाने की मांग पर जोर पकड़ रही है. इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत कोई भी व्यक्ति अपने टैक्स योग्य आय पर 1,50,000 रुपये की सीमा तक टैक्स कटौती का दावा कर सकता है. आइए पहले जान लीजिए किन मदों में ये छूट लिया जा सकता है...
- एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) : एम्पलाई अपने मूल वेतन का लगभग 12% ईपीएफ फंड में योगदान करते हैं. इसलिए, सभी एम्पलाई इस मद में कटौती के लिए पात्र हैं.
- ईएलएसएस फ़ंड (इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम): ये म्यूचुअल फंड स्कीम हैं, जो मुख्य तौर पर इक्विटी में निवेश करती हैं. इन फ़ंड में निवेश का दावा धारा 80C (शर्तों की पूर्ति के अधीन) के तहत कटौती के तौर पर किया जा सकता है.
- इंफ़्रास्ट्रक्चर बॉन्ड: ये सरकार द्वारा स्वीकृत इंफ़्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से संबंधित हैं, जो देश में इंफ़्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए स्थापित किए गए विशेष वित्तीय वाहनों द्वारा जारी किए गए हैं.
- लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम: लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के लिए जो भी प्रीमियम चुकाए जाते हैं, वे सभी इस सेक्शन के तहत कटौती के तौर पर योग्य हैं.
- एनएससी - राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र: यह स्कीम भारत के डाक विभाग द्वारा दी जाती है. इस स्कीम के तहत किए गए निवेश पर टैक्स योग्य आय में कटौती की जा सकती है.
- बच्चों की ट्यूशन फीस: यहां तक कि भारत के किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय के लिए दी जाने वाली ट्यूशन फीस पर भी धारा 80 C के तहत कटौती की जा सकती है. कोई इस कटौती का लाभ सिर्फ़ दो बच्चों के लिए ले सकता है.
- होम लोन: होम लोन अगर किसी शख्स ने ले रखा तो वो भी इसका लाभ उठा सकता है.
- पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट: पोस्ट ऑफिस द्वारा दिए जाने वाले ये 5-साल के डिपॉजिट हैं, जिनमें निवेश सेक्शन 80C के तहत कटौती के तौर पर योग्य हैं।
जीएसटी से ये चीजें हटाई जाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट एक फरवरी को पेश होने वाला है. जाहिर है, अगर सरकार इस छूट की सीमा और इनकम टैक्स स्लैब बढ़ा देती है तो मिडिल क्लास को राहत मिलेगी. वहीं जीएसटी से खाने-पीने के सामान और दवाओं को बाहर करने से भी आम जनता को राहत मिल सकती है. अभी इन पर 5 से 18 प्रतिशत तक टैक्स लगता है. अगर सरकार इन दोनों को ही पूर्ण रूप से जीएसटी से बाहर कर दे तो आम आदमी को बहुत ज्यादा राहत मिल जाएगी.
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