
ग्रेटर नोएडा:
नोएडा एक्सटेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के खिलाफ किसानों ने ग्रेटर नोएडा में महापंचायत की। इसमें फैसला लिया गया कि इसके खिलाफ पुर्नविचार याचिका जुलाई महीने में दाखिल की जाएगी।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी रणनीति तैयार की। कोर्ट के इस फैसले से इन किसानों को काफी झटका लगा है कि अब इनकी जमीन वापस नहीं होगी। किसानों ने तय किया है कि वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
एक ओर किसान कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालेंगे, और दूसरी ओर हर गांव में हर हफ्ते मीटिंग कर संगठन खड़ा करेंगे। उत्पीड़ित किसान मजदूर संघर्ष मंच के संयोजक जिले सिंह भाटी ने कहा कि सरकार ने हमसे जमीन तो उद्योग लगाने के लिए ली, लेकिन उसे बिल्डरों को बेचकर मोटा मुनाफा भी कमाया गया। जबकि किसानों के हाथ कुछ खास नहीं लगा।
वहीं किसानों ने तय किया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर बिल्डरों के काम में तो कोई रुकावट नहीं डालेंगे पर खाली जमीन पर कोई नया काम नहीं होने देंगे। ग्रेटर नोएडा के साकीपुर गांव के किसान देशराज कहते है, 'हम तो यही चाहते हैं कि हमारे बच्चों को नौकरी मिले और बढ़ा हुआ मुआवजा मिले।' वैसे कोर्ट के इस फैसले से करीब साढ़े तीन लाख फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत मिली है कि अब उनके घर का सपना जल्द पूरा हो सकेगा। किसानों ने ये भी तय किया है कि वो अपनी लड़ाई गैर-राजनीतिक तौर पर जारी रखेंगे।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी रणनीति तैयार की। कोर्ट के इस फैसले से इन किसानों को काफी झटका लगा है कि अब इनकी जमीन वापस नहीं होगी। किसानों ने तय किया है कि वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
एक ओर किसान कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालेंगे, और दूसरी ओर हर गांव में हर हफ्ते मीटिंग कर संगठन खड़ा करेंगे। उत्पीड़ित किसान मजदूर संघर्ष मंच के संयोजक जिले सिंह भाटी ने कहा कि सरकार ने हमसे जमीन तो उद्योग लगाने के लिए ली, लेकिन उसे बिल्डरों को बेचकर मोटा मुनाफा भी कमाया गया। जबकि किसानों के हाथ कुछ खास नहीं लगा।
वहीं किसानों ने तय किया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर बिल्डरों के काम में तो कोई रुकावट नहीं डालेंगे पर खाली जमीन पर कोई नया काम नहीं होने देंगे। ग्रेटर नोएडा के साकीपुर गांव के किसान देशराज कहते है, 'हम तो यही चाहते हैं कि हमारे बच्चों को नौकरी मिले और बढ़ा हुआ मुआवजा मिले।' वैसे कोर्ट के इस फैसले से करीब साढ़े तीन लाख फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत मिली है कि अब उनके घर का सपना जल्द पूरा हो सकेगा। किसानों ने ये भी तय किया है कि वो अपनी लड़ाई गैर-राजनीतिक तौर पर जारी रखेंगे।
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