किसान संगठनों (Farmers organizations) ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी नहीं देती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान संयुक्त मोर्चा (Kisan Sanyukta Morcha) की बैठक के बाद इसका ऐलान किया गया. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले के बाद पहली बार हुई केएसएम की बैठक में MSP गारंटी, आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग पर आम सहमति बनी. सूत्रों से खबर मिली है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को अपनी बैठक में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को मंजूरी दे सकता है.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि बैठक में फैसला किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक खुल खत लिखा जाएगा, जिसमें किसानों की लंबित मांगों का उल्लेख किया जाएगा. उन्होंने बताया कि उस चिट्ठी में एमएसपी समिति, उसके अधिकार, उसकी समय सीमा, उसके कर्तव्य; विद्युत विधेयक 2020, और किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी का उल्लेख किया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि चिट्ठी में लखमीपुर खीरी की घटना के संबंध में केंद्रीय मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) को बर्खास्त करने की भी मांग करेंगे. राजेवाल ने बताया कि किसान संयुक्त मोर्चा अब 27 नवंबर को फिर से बैठक करेगा. उसके बाद स्थितियों को देखते हुए आगे की रणनीति तय की जाएगी.
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संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रविन्द्र पटियाल ने NDTV से बातचीत में कहा, एमएसपी, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा, किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे आज की मीटिंग के अहम मुद्दे थे." उन्होंने कहा, "मोदी जी ने अच्छा कदम उठाया है. उम्मीद है आगे भी वो अच्छी पहल करेंगे. हमारी तरफ से प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा जा रहा है, जिसमें हम अपनी सभी बातें रखेंगे."
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उन्होंने कहा कि 26 तारीख को हमारे आंदोलन का एक साल पूरा हो रहा है. उसके बाद 27 तारीख को हम अपनी अगली मीटिंग करेंगे जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर हमारी मांगे मान ली जाती हैं तो फिर क्यों बैठेंगे,हम खुद चले जायेंगे. लेकिन जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हमारे बाकी कार्यक्रम पहले की तरह चलते रहेंगे.
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