मुंबई:
प्याज के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य के ख़त्म होने से कारोबारी खुश हैं, किसान के चेहरे पर भी मुस्कुराहट लौटी है, लेकिन कीमतें तय करने को लेकर वो अभी भी सरकार की तरफ टकटकी लगाये बैठा है।
कुछ दिनों पहले 100 रुपये के करीब जा पहुंचा प्याज थोक मंडी में आज 10-12 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के नासिक के करीब लासलगांव में हैं, जहां किसानों की शिकायत थी उपज से मिलने वाली कीमत से खर्च निकालना भी मुश्किल है।
लेकिन अब सरकार ने प्याज की तेजी से घटती कीमतों को देखते हुए इसके निर्यात मूल्य में पूरी कटौती कर दी है। निवृत्ति गांगुर्डे सरकार के इस फरमान से बहुत खुश हैं, लेकिन उनका मानना है कि जबतक क़ीमतें 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक नहीं आतीं, किसानों के अच्छे दिन नहीं आएंगे। दिसंबर के दूसरे हफ्ते में प्याज के निर्यात मूल्य को 700 से घटाकर 400 डॉलर प्रति क्विंटल कर दिया गया था लेकिन फिर भी एक्सपोर्ट नहीं बढ़ा अब उसे पूरी तरह ख़त्म कर दिया गया है।
लासलगांव में प्याज के कारोबारी रामराव परदेशी का मानना है इससे निर्यात बढ़ेगा और किसानों को फायदा होगा। प्याज की फसल को पहले बारिश ने बर्बाद किया, फिर कीमतें तेजी से चढ़ीं और बिक्री कम हो गई। प्याज लोगों को ना रुलाए इसलिए सरकार ने इसे आयात किया, नतीजतन किसानों को भारी नुकसान हुआ, आने वाले दिनों में पैदावार के मंडी पहुंचने से कीमतों पर और दबाव पड़ सकता था, इसलिए किसान एमईपी घटाने की मांग कर रहे थे।
देश में मई से अगस्त के बीच 4.5 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था, लेकिन एमईपी बढ़ाने के बाद निर्यात थम सा गया था। नवंबर के बाद प्याज की कीमतें तेजी से गिरीं इसलिए सरकार ने पहले एमईपी में कटौती की फिर इसे पूरी तरह हटा दिया, ताकि किसानों को ज्यादा नुकसान ना उठाना पड़े।
कुछ दिनों पहले 100 रुपये के करीब जा पहुंचा प्याज थोक मंडी में आज 10-12 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के नासिक के करीब लासलगांव में हैं, जहां किसानों की शिकायत थी उपज से मिलने वाली कीमत से खर्च निकालना भी मुश्किल है।
लेकिन अब सरकार ने प्याज की तेजी से घटती कीमतों को देखते हुए इसके निर्यात मूल्य में पूरी कटौती कर दी है। निवृत्ति गांगुर्डे सरकार के इस फरमान से बहुत खुश हैं, लेकिन उनका मानना है कि जबतक क़ीमतें 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक नहीं आतीं, किसानों के अच्छे दिन नहीं आएंगे। दिसंबर के दूसरे हफ्ते में प्याज के निर्यात मूल्य को 700 से घटाकर 400 डॉलर प्रति क्विंटल कर दिया गया था लेकिन फिर भी एक्सपोर्ट नहीं बढ़ा अब उसे पूरी तरह ख़त्म कर दिया गया है।
लासलगांव में प्याज के कारोबारी रामराव परदेशी का मानना है इससे निर्यात बढ़ेगा और किसानों को फायदा होगा। प्याज की फसल को पहले बारिश ने बर्बाद किया, फिर कीमतें तेजी से चढ़ीं और बिक्री कम हो गई। प्याज लोगों को ना रुलाए इसलिए सरकार ने इसे आयात किया, नतीजतन किसानों को भारी नुकसान हुआ, आने वाले दिनों में पैदावार के मंडी पहुंचने से कीमतों पर और दबाव पड़ सकता था, इसलिए किसान एमईपी घटाने की मांग कर रहे थे।
देश में मई से अगस्त के बीच 4.5 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था, लेकिन एमईपी बढ़ाने के बाद निर्यात थम सा गया था। नवंबर के बाद प्याज की कीमतें तेजी से गिरीं इसलिए सरकार ने पहले एमईपी में कटौती की फिर इसे पूरी तरह हटा दिया, ताकि किसानों को ज्यादा नुकसान ना उठाना पड़े।
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