फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने कथित फर्जी डिग्री मामले में राज्य के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को रविवार को तिहाड़ जेल भेज दिया, क्योंकि पुलिस ने अदालत से कहा कि उसे अब तोमर की हिरासत नहीं चाहिए।
पुलिस ने दो दिन की हिरासत खत्म होने पर तोमर को अदालत में पेश किया। 9 जून को गिरफ्तारी के बाद से तोमर पुलिस हिरासत में थे। इस दौरान अदालत ने उनकी पुलिस हिरासत की अवधि तीन बार बढ़वाई।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अंकित सिंगला ने कहा कि इन परिस्थितियों में जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपी को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जाए, क्योंकि इस मामले के संबंध में नमूना हस्ताक्षर लेने के लिए उनकी उपस्थिति की जरूरत है। आरोपी की एक दिन की न्यायिक हिरासत मंजूर की जाती है।
हालांकि मजिस्ट्रेट ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस मामले के लिए जरूरी नमूना हस्ताक्षर लेते वक्त गवाह बनने के दिल्ली पुलिस के अनुरोध से खुद को अलग कर लिया।
मजिस्ट्रेट ने कहा, 'निजी कारणों से मामले के आवेदनों पर फैसले से मुझे दूर रखने के बारे में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से पहले ही आग्रह कर चुका हूं। इसलिए, मैं आरोपी के नमूने हस्ताक्षर लेने का गवाह नहीं बन सकता।' उन्होंने जांच अधिकारी को यह भी निर्देश दिया कि नमूने हस्ताक्षर सहित मामले से जुड़े सभी आवेदनों को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने रखा जाए।
मजिस्ट्रेट ने तोमर की जमानत याचिका पर सुनवाई से भी खुद को दूर किया और इसे मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में स्थानांतरित कर दिया।
इससे पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा कि तोमर की पुलिस हिरासत की अब जरूरत नहीं है और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जाए।
हालांकि मजिस्ट्रेट ने कहा कि चूंकि पुलिस द्वारा नमूना हस्ताक्षर का आवेदन दायर किया गया है इसलिए तोमर को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जाए और उसे मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए, जहां पुलिस याचिका पर फैसला होगा।
सुनवाई के बाद तोमर को कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल ले जाया गया।
पुलिस ने दो दिन की हिरासत खत्म होने पर तोमर को अदालत में पेश किया। 9 जून को गिरफ्तारी के बाद से तोमर पुलिस हिरासत में थे। इस दौरान अदालत ने उनकी पुलिस हिरासत की अवधि तीन बार बढ़वाई।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अंकित सिंगला ने कहा कि इन परिस्थितियों में जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपी को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जाए, क्योंकि इस मामले के संबंध में नमूना हस्ताक्षर लेने के लिए उनकी उपस्थिति की जरूरत है। आरोपी की एक दिन की न्यायिक हिरासत मंजूर की जाती है।
हालांकि मजिस्ट्रेट ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस मामले के लिए जरूरी नमूना हस्ताक्षर लेते वक्त गवाह बनने के दिल्ली पुलिस के अनुरोध से खुद को अलग कर लिया।
मजिस्ट्रेट ने कहा, 'निजी कारणों से मामले के आवेदनों पर फैसले से मुझे दूर रखने के बारे में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से पहले ही आग्रह कर चुका हूं। इसलिए, मैं आरोपी के नमूने हस्ताक्षर लेने का गवाह नहीं बन सकता।' उन्होंने जांच अधिकारी को यह भी निर्देश दिया कि नमूने हस्ताक्षर सहित मामले से जुड़े सभी आवेदनों को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने रखा जाए।
मजिस्ट्रेट ने तोमर की जमानत याचिका पर सुनवाई से भी खुद को दूर किया और इसे मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में स्थानांतरित कर दिया।
इससे पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा कि तोमर की पुलिस हिरासत की अब जरूरत नहीं है और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जाए।
हालांकि मजिस्ट्रेट ने कहा कि चूंकि पुलिस द्वारा नमूना हस्ताक्षर का आवेदन दायर किया गया है इसलिए तोमर को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जाए और उसे मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए, जहां पुलिस याचिका पर फैसला होगा।
सुनवाई के बाद तोमर को कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल ले जाया गया।
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