दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को कथित फर्जी डिग्री मामले में दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को शर्तों के साथ जमानत दे दी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने तोमर की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया। उन्होंने तोमर पर अदालत की पूर्व अनुमति के बिना राजधानी से बाहर नहीं जाने और जब भी जरूरत हो, जांच में शामिल होने समेत कई शर्तें लगाईं। अदालत ने तोमर से 50,000 रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही जमानत राशि भी जमा करने को कहा।
अदालत ने तोमर और अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलों को सुनने के बाद 23 जुलाई तक के लिए फैसला सुरक्षित रखा था। वकील हषिर्त जैन ने बुधवार को तोमर की ओर से दलील रखते हुए जमानत मांगी थी और कहा था कि साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं और उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने का कोई सवाल ही नहीं है।
जैन ने जमानत मांगते हुए कहा था कि दस्तावेजों का सत्यापन और विश्लेषण लंबी प्रक्रिया है और तोमर की न्यायिक हिरासत बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है।
विशेष सरकारी अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने इस आधार पर जमानत अर्जी का विरोध किया था कि जांच अब भी जारी है और वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने दलील दी कि विभिन्न विश्वविद्यालयों से कई दस्तावेज जब्त किये गये जहां तोमर ने कथित तौर पर अपनी एलएलबी और बीएससी की पढ़ाई की। इन दस्तावेजों का अभी सत्यापन और विश्लेषण किया जाना है।
एक मजिस्ट्रेटी अदालत इससे पहले दो बार तोमर की जमानत अर्जी को खारिज कर चुकी है।
त्रिनगर से विधायक तोमर को दिल्ली पुलिस की जांच के बाद नौ जून को गिरफ्तार किया गया था। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने शिकायत की थी कि तोमर ने बिहार के एक कॉलेज से कानून की फर्जी डिग्री हासिल की थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने तोमर की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया। उन्होंने तोमर पर अदालत की पूर्व अनुमति के बिना राजधानी से बाहर नहीं जाने और जब भी जरूरत हो, जांच में शामिल होने समेत कई शर्तें लगाईं। अदालत ने तोमर से 50,000 रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही जमानत राशि भी जमा करने को कहा।
अदालत ने तोमर और अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलों को सुनने के बाद 23 जुलाई तक के लिए फैसला सुरक्षित रखा था। वकील हषिर्त जैन ने बुधवार को तोमर की ओर से दलील रखते हुए जमानत मांगी थी और कहा था कि साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं और उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने का कोई सवाल ही नहीं है।
जैन ने जमानत मांगते हुए कहा था कि दस्तावेजों का सत्यापन और विश्लेषण लंबी प्रक्रिया है और तोमर की न्यायिक हिरासत बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है।
विशेष सरकारी अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने इस आधार पर जमानत अर्जी का विरोध किया था कि जांच अब भी जारी है और वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने दलील दी कि विभिन्न विश्वविद्यालयों से कई दस्तावेज जब्त किये गये जहां तोमर ने कथित तौर पर अपनी एलएलबी और बीएससी की पढ़ाई की। इन दस्तावेजों का अभी सत्यापन और विश्लेषण किया जाना है।
एक मजिस्ट्रेटी अदालत इससे पहले दो बार तोमर की जमानत अर्जी को खारिज कर चुकी है।
त्रिनगर से विधायक तोमर को दिल्ली पुलिस की जांच के बाद नौ जून को गिरफ्तार किया गया था। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने शिकायत की थी कि तोमर ने बिहार के एक कॉलेज से कानून की फर्जी डिग्री हासिल की थी।
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