अगरगांव के मंदिर को विस्फोटों के कारण काफी नुकसान पहुंचा है।
पुलगांव:
पुलगांव के केंद्रीय आयुध डिपो (Central Ammunition Depot) के बाहर लगे बोर्ड पर लिखा है, 'मक्का ऑफ एम्युनेशन'। यह एशिया का सबसे बड़ा गोला-बारूद का डिपो है। मंगलवार को यहां लगी आग में सेना के दो अफसरों और कई दमकल कर्मचारियों सहित कम से कम 18 लोगों की मौत हुई है। यह कर्मचारी दोपहर करीब एक बजे लगी आग को बुझाने के लिए पहुंचे थे।
मंगलवार दोपहर ही उत्तरी महाराष्ट्र के पुलगांव पहुंचे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि आग लगने के सही कारण का पता जांच के बाद ही लग सकेगा। हालांकि उन्होंने कहा, 'हम किसी आशंका को खारिज नहीं कर रहे हैं...जैसे यहां कोई तोड़फोड़ तो नहीं की गई है।' रक्षा मंत्री ने कहा कि जल्दबाजी में आग लगने के कारण का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। केंद्रीय आयुध डिपो में मंगलवार को लगी आग में 15 से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी है।
आग बुझाने के लिए दमकल कर्मचारियों को छह घंटे से अधिक समय तक जूझना पड़ा। इस दौरान इनके 13 कर्मचारियों को जान गंवानी पड़ी। सेना के दो अफसरों लेफ्टिनेंट कर्नल आरएस पवार और मेजर के. मनोज की भी हादसे में मौत हुई है। 17 लोग घायल हुए हैं। बुधवार को दो और शव बरामद किए गए जिनकी पहचान अभी की जानी है जबकि एक व्यक्ति लापता है। महाराष्ट्र के पुलगांव में शाम को हर जगह लोगों के बीच हादसे में जान गंवाने वाले सेना के अधिकारियों और दमकल कर्मचारियों की ही चर्चा होती रही।
डिपो के बाहर मौजूद एक शख्स ने कहा, 'हादसे में मारे गए दमक कर्मचारियों में स्थानीय लोग भी शामिल थे। इसमें वे जवान भी थे जो रिटायर हो गए थे और फिर सर्विस में आए।'करीब सात हजार एकड़ में फैली इस डिपो के पास स्थित अगरगांव उन करीब 10 गांवों में शामिल था जिन्हेांने आग लगने के बाद खााली कराया गया। हालांकि शाम तक ग्रामीण घर लौट आए। एक ग्रामीण विश्वेश्वर काकोंडे ने बताया, 'धमाकों के बाद हम काफी डर गए थे, इसलिए लोगों ने देर तक खुले में रहना ही उचित समझा।' धमाकों के कारण घरों की खिड़कियों के फ्रेम गिर गए।
उसकी पत्नी ने एक बकरी और मेमने की ओर इशारा करते हुए कहा कि जानवर भी इस घटना से डरे हुए हैं। धमाके इतने जबर्दस्त थे कि गांव से करीब पांच किमी दूर तक इनकी आवाज सुनी गई। 20 साल के आकाश पांडरे ने बताया, 'पूरा घर हिल रहा था और इसमें हर कहीं दरारें पड़ गई हैं। हम मंदिर की ओर दौड़े लेकिन इसकी बीम छत से नीचे आने लगी और प्लास्टर तथा सीमेंट झड़ना शुरू हो गया।'ग्रामीण जिस भवानी मंदिर में शरण लिये थे, शक्तिशाली धमाकों के कारण सात खिड़कियों के फ्रेम दीवार से निकल गए। यहां तक कि धातु के फ्रेम भी बुरी तरह से हिल रहे थे।
मंगलवार दोपहर ही उत्तरी महाराष्ट्र के पुलगांव पहुंचे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि आग लगने के सही कारण का पता जांच के बाद ही लग सकेगा। हालांकि उन्होंने कहा, 'हम किसी आशंका को खारिज नहीं कर रहे हैं...जैसे यहां कोई तोड़फोड़ तो नहीं की गई है।' रक्षा मंत्री ने कहा कि जल्दबाजी में आग लगने के कारण का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
आग बुझाने के लिए दमकल कर्मचारियों को छह घंटे से अधिक समय तक जूझना पड़ा। इस दौरान इनके 13 कर्मचारियों को जान गंवानी पड़ी। सेना के दो अफसरों लेफ्टिनेंट कर्नल आरएस पवार और मेजर के. मनोज की भी हादसे में मौत हुई है। 17 लोग घायल हुए हैं। बुधवार को दो और शव बरामद किए गए जिनकी पहचान अभी की जानी है जबकि एक व्यक्ति लापता है। महाराष्ट्र के पुलगांव में शाम को हर जगह लोगों के बीच हादसे में जान गंवाने वाले सेना के अधिकारियों और दमकल कर्मचारियों की ही चर्चा होती रही।
डिपो के बाहर मौजूद एक शख्स ने कहा, 'हादसे में मारे गए दमक कर्मचारियों में स्थानीय लोग भी शामिल थे। इसमें वे जवान भी थे जो रिटायर हो गए थे और फिर सर्विस में आए।'करीब सात हजार एकड़ में फैली इस डिपो के पास स्थित अगरगांव उन करीब 10 गांवों में शामिल था जिन्हेांने आग लगने के बाद खााली कराया गया। हालांकि शाम तक ग्रामीण घर लौट आए। एक ग्रामीण विश्वेश्वर काकोंडे ने बताया, 'धमाकों के बाद हम काफी डर गए थे, इसलिए लोगों ने देर तक खुले में रहना ही उचित समझा।'
उसकी पत्नी ने एक बकरी और मेमने की ओर इशारा करते हुए कहा कि जानवर भी इस घटना से डरे हुए हैं। धमाके इतने जबर्दस्त थे कि गांव से करीब पांच किमी दूर तक इनकी आवाज सुनी गई। 20 साल के आकाश पांडरे ने बताया, 'पूरा घर हिल रहा था और इसमें हर कहीं दरारें पड़ गई हैं। हम मंदिर की ओर दौड़े लेकिन इसकी बीम छत से नीचे आने लगी और प्लास्टर तथा सीमेंट झड़ना शुरू हो गया।'ग्रामीण जिस भवानी मंदिर में शरण लिये थे, शक्तिशाली धमाकों के कारण सात खिड़कियों के फ्रेम दीवार से निकल गए। यहां तक कि धातु के फ्रेम भी बुरी तरह से हिल रहे थे।
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