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This Article is From Jul 09, 2022

Exclusive: मूसेवाला हत्याकांड की पूरी कहानी, गैंगस्टर सचिन विश्नोई के फर्जी पासपोर्ट का खुलासा

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की साजिश को अंजाम देने के लिए गैंगस्टर 28 मई से दो जून तक कहां-कहां गए और क्या किया? वारदात की पूरी कहानी

Exclusive: मूसेवाला हत्याकांड की पूरी कहानी, गैंगस्टर सचिन विश्नोई के फर्जी पासपोर्ट का खुलासा
गैंगस्टर सचिन बिश्नोई फर्जी नाम से पासपोर्ट बनाकर दुबई भाग गया था.
नई दिल्ली:

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा हुआ है. स्पेशल की जांच में  मूसेवाला हत्याकांड की जिम्मेदारी लेने वाले लॉरेंस के  बेहद करीबी गैंगस्टर सचिन बिश्नोई को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. सचिन बिश्नोई 21 अप्रैल तक भारत में था लेकिन उसके बाद उसने फर्जी नाम से पासपोर्ट बनाया और भारत से फरार हो गया. जांच में पता चला है कि उसका पासपोर्ट दिल्ली के रीजनल पासपोर्ट दफ्तर से बना था. 

मूसेवाला हत्याकांड के एक मास्टरमाइंड गैंगस्टर सचिन विश्नोई का फर्जी पासपोर्ट दिल्ली के संगम विहार इलाके के एक पते पर बनाया गया था. इस फर्जी पासपोर्ट में सचिन विश्नोई का नकली नाम तिलक राज टुटेजा लिखा गया है. पिता का नाम भीम सिंह, हाउस नंबर 330, ब्लॉक एफ 3 संगम विहार नई दिल्ली 110062 लिखा गया है.

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सचिन बिश्नोई 21 अप्रैल तक भारत मे था. उसने मूसेवाला हत्याकांड का सारा खाका तैयार किया. हत्याकांड में इस्तेमाल शूटरों के रहने, खाने, शेल्टर, पैसे, गाड़ियों का इंतजाम किया और फिर इस फर्जी पासपोर्ट के जरिए भारत के किसी एयरपोर्ट से वह दुबई भाग गया. इसके बाद वह दुबई से अजरबेजान चला गया.

फर्जी नाम और पते से दिल्ली से जिस तरह से उसका पासपोर्ट बना उस पर सवाल उठना लाज़मी है. अगर उस समय सचिन बिश्नोई को पकड़ लिया जाता तो शायद मूसेवाला की हत्या को टाला जा सकता था.

आपको अब बताते हैं कि आखिर क्या हुआ था मूसेवाला हत्याकांड के ठीक एक दिन पहले. 28 मई को सुबह ठीक 11 बजे और आखिर 29 मई को मूसेवाला हत्याकांड के ठीक पहले और फिर हत्याकांड के बाद आखिर क्या हुआ? 

तारीख़ 28 मई को सुबह ठीक 11 बजे गोल्डी बराड़ का फोन प्रियव्रत फौजी के मोबाइल नंबर पर आया. 

गोल्डी - ''हैलो फौजी सुन मूसेवाला की सुरक्षा हटा ली गई और अब तुझे बाकी लड़कों के साथ कल ही, यानी 29 मई हर हाल में काम को अंजाम देना है.''
फौजी-जी डॉक्टर साहब काम हो जाएगा मेरी टीम तैयार है. 

(शूटर प्रियव्रत फौजी ने कनाडा में मौजूद गोल्डी बराड़ को कहा डॉक्टर साहब काम हो जाएगा, यानी गैंग गोल्डी बराड़ को नाम या भाई नहीं बल्कि डॉक्टर कहकर बुलाती थी.) 

29 मई को सुबह 10 बजे प्रियव्रत फौजी, अंकित, केशव, हरियाणा के कीरमारा इलाके में रुके हुए थे. वहां रुकने की जगह नवदीप नाम के एक शख्स ने उपलब्ध कराई थी. वहां से वे सभी मानसा के लिए बोलेरो कार से चल पड़े. 

29 मई को सुबह 10.30 बजे दीपक मुंडी और कशिश रास्ते में हरियाणा की ओक्लाना मंडी हिसार में राजेन्द्र नाम के एक शख्स के ठिकाने से उनके साथ में शामिल हुए और 11.30 बजे उकालाना हरियाणा से मानसा के लिए निकल पड़े. 

गोल्डी यानी डाक्टर ने फिर फौजी, और मनप्रीत मानू को फोन किया. गोल्डी ने कहा, तुम सब मानसा के तीन किलोमीटर पहले एक ढाबे पर पहुंच जाना.

29 मई को शाम 4 बजे गोल्डी बराड़ डॉक्टर के कहने पर मानसा के तीन किलोमीटर पहले एक ढाबे पर हरियाणा साइड के शूटर पहुंच गए और ठीक 15 मिनट बाद पंजाब साइड के दोनों कुख्यात शूटर मनप्रीत मानू और जगरूप रूपा भी उसी ढाबे पर पहुंच गए. वे सभी वहां गोल्डी भाई यानी डॉक्टर के अगले आदेश का इंतजार करने लगे.

29 मई को शाम 4.30 बजे गोल्डी ने फिर शूटरों को फोन किया.  

गोल्डी ने शूटर्स से कहा- सुनो सिद्धू के घर का बड़ा गेट खुल गया है और तुम जल्दी उसके घर के लिए निकलो सिद्धू निकलने वाला है. शूटरों ने कहा, तुरंत निकल रहे हैं.

इसके बाद हवा से बात करती हुई शूटरों की दोनों गाड़ियां मूसेवाला के घर के लिए निकल गईं केवल केशव उसी ढाबे पर रुक गया. प्लान के मुताबिक हत्याकांड के बाद सभी को उसी ठाबे पर मिलना था. 

शुटरों की बोलेरो कार मानसा गांव के पहले मानसा चौक पर ही रुक गई. गोल्डी ने फिर शूटरों को फोन किया. उसने कहा- मूसेवाला घर से निकल गया है, ब्लेक कलर की गाड़ी में, बिना सुरक्षा के जल्दी जाओ.

कुछ ही देर में मूसेवाला की थार ने शूटरों की बोलेरो को क्रॉस किया और फिर शूटरों की गाड़ी मूसेवाला के पीछे लग गई. मानसा चौक पर खड़ी दूसरी गाड़ी ने भी मूसेवाला की थार को फॉलो करना शुरू किया. एक वक्त शूटरों को लगा जिस तरह रेकी के वक्त मूसेवाला जिस नहर के रूट्स का इस्तेमाल घर से निकलकर आगे जाने के लिए करता था 29 मई को भी वही रूट लेगा लेकिन उस रोज नहर रूट न लेकर मूसेवाला जवाहर के से सीधे आगे चल रही थी. फिर अगले ही कुछ  सेकेंडों में तो मूसेवाला की हत्या को अंजाम तक पहुंचा दिया गया. 

मूसेवाला शूटआउट की कहानी ख़ुद दिल्ली पुलिस ने कैमरे पर बताई ही है.  

29 मई के हत्याकांड के बाद गोल्डी ने फिर शूटर प्रियव्रत फौजी को फोन किया. और कहा कि तुम लोग फतेहाबाद जाओ जहां रामनिवास नाम का बन्दा तुम्हें रिसीव करेगा. रामनिवास तुम्हें एक होटल लेकर जाएगा रुकने. 29 मई को 10.30 बजे रात में शूटर सांवरिया होटल पहुंच गए. वहां सभी बीयर पी और रात वहीं गुजारी. 

30 मई को सचिन भिवानी, कपिल पंडित, क्रेटा कार से सांवरिया होटल पहुंचे और फिर शुटरों ने वह होटल छोड़ देदी. क्रेटा सचिन भिवानी चला रहा था जबकि अंकित, प्रियव्रत, सचिन, केशव, कशिश भी उसमें सवार थे. कुछ दूर चलने के बाद रिट्स कार आई जिसे किशन नाम का शख्स चला रहा था. कपिल पंडित उसके साथ बैठा था. फिर केशव भी उसमें शिफ्ट हो गया. दोनों गाड़ियां रोहतक हाईवे पर हांसी गांव में जाकर रुकीं. वहां रुकने का इंतजाम किशन गुर्जर ने किया था. 

31 मई को केशव, कशिश, दीपक मुंडी, भिवानी के तोशना गांव में जाकर रुके. एक जून  को केशव, कशिश, दीपक मुंडी के लिए कपिल पंडित ने एक ट्रक का इंतजाम किया जिसमें बैठकर वे अहमदाबाद निकल पड़े. 

इस बीच ही गोल्डी का फिर फौजी को फोन आया. उसने कहा- सुनो फौजी तुम 6 हथियार विनीत उर्फ बब्बन को सौंप देना जल्दी. फौजी ने कहा- जी डॉक्टर साहब.

प्रियव्रत फौजी ने कुल 6 हथियार विनीत उर्फ बब्बन को सौंप दिए. गोल्डी के आदेश के मुताबिक उसके बाद प्रियव्रत फौजी, अंकित, सचिन, कपिल ने एक दूसरा ट्रक पकड़ा राजगढ़ हाईवे से और दो जून को दोनों ट्रकों से हरियाणा साइड के आरोपी शुटर अहमदाबाद पहुंच गए. फिर वाल्वो बस से रात 10 बजे मुंद्रा पोर्ट पहुंच गए. वहां आशीष नाम के एक शख्स ने एक फ्लैट में आरोपियों के रुकने का इंतजाम किया. 

10 जून को आरोपी मुंद्रा के अलग-अलग फ्लैट में फिर शिफ्ट हुए. 14 जून को शूटर मध्यप्रदेश के इंदौर, विदिशा, ब्यावरा में रुके और फिर आगे निकल गए. 

शूटर मनप्रीत मानू, जगरूप रुपा खरड़ होते हुए लुधियाना से मानसा पहुंचे. जबकि शूटर प्रियव्रत फौजी,अंकित, कशिश, दीपक मुंडी उल्काना मंडी हिसार होते हुए फतेहाबाद से सरदुलागड़ पंजाब से मानसा पहुंचे थे. 

शूटर मनप्रीत मानू, जगरूप रूपा मानसा से लुधियाना गए. फिर आज तक न गोल्डी बराड़, न सचिन विश्नोई और न ही किसी राज्य की पुलिस को पता है कि यह दोनों कुख्याय शूटर कहां छुपे हैं.

शूटर प्रियव्रत फौजी,अंकित, कशिश, दीपक मुंडी मानसा से होटल फतेहाबाद में रात रुके. वहां से फिर तोशाम अगली रात रुके, पिलानी गए, ट्रक से गांधीनगर पहुंचे फिर गुजरात के मुद्रा पोर्ट पहुंचे. 

प्रियव्रत फौजी 50 किलोग्राम में कुश्ती का खिलाड़ी रह चुका है. भारतीय सेना में स्पोर्ट्स कोटे से उसका सिलेक्शन होने वाला था. फौजी को मोनू डागर ने गोल्डी से जोड़ा था. फौजी ने फिर अंकित को गोल्डी के बारे में बताकर उसे भी अपने साथ जोड़ा. यह वह कहानी है जो प्रियव्रत फौजी ने पूछताछ में बताई और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की जांच में सामने आई है.

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