पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कटौती से केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से पर असर नहीं : निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री ने कहा- पेट्रोल में आठ रुपये और डीजल में छह रुपये की कटौती इन पर लगाए जाने वाले सड़क एवं अवसंरचना उपकर में की गई है जिसके संग्रह को राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता, विपक्ष का आरोप सही नहीं

पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कटौती से केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से पर असर नहीं : निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि वाहन ईंधन पर उत्पाद शुल्क (Excise duty) कटौती से केंद्रीय करों (Central Taxes) में राज्यों की हिस्सेदारी प्रभावित होगी. सीतारमण ने रविवार को कहा कि पेट्रोल (Petrol) में आठ रुपये और डीजल (Diesel) में छह रुपये की कटौती इन ईंधनों पर लगाए जाने वाले सड़क एवं अवसंरचना उपकर में की गई है जिसके संग्रह को राज्यों के साथ कभी साझा नहीं किया जाता. ऐसे में विपक्ष का यह आरोप सही नहीं है. 

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और अन्य विपक्षी नेताओं ने कहा था कि सरकार ने शनिवार शाम को उत्पाद शुल्क में कटौती की जो घोषणा की है उससे केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी कम हो जाएगी. हालांकि, बाद में रविवार को चिदंबरम ने अपना बयान वापस लेते हुए कहा है कि करों में कटौती का भार अकेले केंद्र सरकार ही वहन करेगी.

निर्मला सीतारमण ने ट्विटर पर लिखा कि वह पेट्रोल और डीजल पर लगाए जाने वाले करों के बारे में उपयोगी जानकारी साझा कर रही हैं जो सभी के लिए लाभदायक होगी. उन्होंने कहा, ‘‘मूल उत्पाद शुल्क (BED), विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SID), सड़क एवं अवसंरचना उपकर (RIC) और कृषि एवं अवसंरचना विकास कर (AIDC) को मिलाकर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क होता है. मूल उत्पाद शुल्क राज्यों के साथ साझा किया जाता है जबकि एसएईडी, आरआईसी और एआईडीसी को साझा नहीं किया जाता.''

वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल पर आठ रुपये प्रति लीटर और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क कटौती पूरी तरह से आरआईसी में की गई है. नवंबर, 2021 में जब पेट्रोल पर पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर घटाए गए थे तब भी कटौती आरआईसी में ही की गई थी.

केंद्र-राज्य कर साझेदारी की व्यवस्था के तहत केद्र जो कर संग्रह करता है उनमें से 41 प्रतिशत राज्यों के पास जाता है. हालांकि, इनमें उपकर के जरिए लेवी के रूप में जुटाया गया कर शामिल नहीं होता. पेट्रोल और डीजल पर लगाया जाने वाला ज्यादातर कर ‘उपकर' होता है.

शनिवार की कटौती से पहले पेट्रोल पर केंद्रीय कर 27.90 रुपये प्रति लीटर था, मूल उत्पाद शुल्क सिर्फ 1.40 रुपये प्रति लीटर था. इसी तरह डीजल पर 21.80 रुपये का कुल केंद्रीय कर था और मूल उत्पाद शुल्क सिर्फ 1.80 रुपये था. प्रति लीटर पेट्रोल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क 11 रुपये और डीजल पर आठ रुपये था. पेट्रोल पर एआईडीसी 2.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर चार रुपये प्रति लीटर था.

पेट्रोल पर 13 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त उत्पाद शुल्क आरआईसी के रूप में लगाया गया था और डीजल पर आठ रुपये प्रति लीटर इस तरह का शुल्क लगाया गया था. शनिवार की उत्पाद शुल्क कटौती इसी में की गई है. पेट्रोल पर सिर्फ 1.40 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.80 रुपये प्रति लीटर का बीईडी संग्रह राज्यों के साथ साझा किया जाता है.

निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘मूल उत्पाद शुल्क जिसे राज्यों के साथ साझा किया जाता है उसे छुआ भी नहीं गया है. अत: कर में दो बार की गई कटौती (पहली कटौती नवंबर में और दूसरी शनिवार को) का भार केंद्र उठाएगा.'' उन्होंने बताया कि कल जो कर कटौती की गई उसका केंद्र पर 1,00,000 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा. नवंबर, 2021 में जो कर कटौती की गई थी उसका केंद्र पर भार 1,20,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष पड़ा है. केंद्र के राजस्व पर कुल 2,20,000 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा.''

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