NDTV से बात करते अमर सिंह
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और विपक्ष के तमाम नेता मोदी सरकार पर मुट्ठीभर उद्योगपतियों के लिए काम करने वाली सरकार का आरोप लगाते रहे हैं. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में विरोधियों पर पलटवार करते हुए कहा कि हम उनमें से नहीं हैं कि उद्योगपति के साथ ना खड़े हों, कई लोगों की एक भी फ़ोटो इनके साथ नहीं होगी, लेकिन परदे के पीछे मिलते थे. इस कार्यक्रम में अमर सिंह भी मौजूद थे जिनकी ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा अमर सिंह ऐसे लोगों के नाम बता सकते हैं. पीएम ने कहा था कि बहुतों का कच्चा चिट्ठा तो अमर सिंह जी ही खोल देंगे. इसी को लेकर NDTV इंडिया ने अमर सिंह से बात की.
सवाल : किसका कच्चा चिट्ठा है?
जवाब : मेरे पास किसी का कच्चा चिठ्ठा नहीं, सब पब्लिक डोमेन में है. रजनी पटेल, ललित नारायण मिश्रा, प्रणव कुमार मुखर्जी, जमनालाल बजाज एक नाम हो तो बताउं. हरि अनंत हरिकथा अनंता. 70 साल का इतिहास रहा है एक पार्टी का, चार साल से हैं मोदी जी. तो क्या 70 साल तक बिना उद्यमी के काम चल गया? उद्यमी को आप कैसे बदनाम कर सकते हैं, जेआरडी टाटा न होते तो हवाई जहाज और लौह उद्योग न होता. हर उद्योगपति मेहुल चौकसी और नीरव मोदी नहीं कह सकते.
सवाल : क्या अभी भी कोई उद्योगपति किसी विपक्षी नेता से बंद कमरे में मिल रहा है?
जवाब : ये मैं NDTV या किसी पत्रकार से या खुले मंच पर कह नहीं सकता.
सवाल : फिर कच्चा चिट्ठा कैसे खोलेंगे?
जवाब : पीएम की टिप्पणी पर टिप्पणी नहीं कर सकता. मुंह में माइक ठूंसने पर बोल नहीं सकता.
सवाल : क्या आप बीजेपी ज्वाइन करेंगे?
जवाब : अखिलेश-मायावती और योगी-मोदी में से एक को चुनना पड़े तो योगी-मोदी को चुनूंगा. कहीं नहीं लिखा कि किसी दल का समर्थन करने के लिए उस दल में शामिल होना जरूरी है.
सवाल : आपका कहना है कि 70 साल तक वो संस्कृति चलती रही जिसमें नेता उद्योगपतियों के संबंध रहे हैं?
जवाब : ये आपका विश्लेषण है. उद्योगपतियों से मिलना ग़लत नहीं, ग़लत फायदा पहुंचाना ग़लत है. पीएम ने साफ़ कर दिया है कि ग़लत को भागना पड़ेगा या जेल जाना पड़ेगा.
VIDEO: बुआ-बबुबा के मुकाबले योगी और मोदी अच्छे : अमर सिंह
सवाल : किसका कच्चा चिट्ठा है?
जवाब : मेरे पास किसी का कच्चा चिठ्ठा नहीं, सब पब्लिक डोमेन में है. रजनी पटेल, ललित नारायण मिश्रा, प्रणव कुमार मुखर्जी, जमनालाल बजाज एक नाम हो तो बताउं. हरि अनंत हरिकथा अनंता. 70 साल का इतिहास रहा है एक पार्टी का, चार साल से हैं मोदी जी. तो क्या 70 साल तक बिना उद्यमी के काम चल गया? उद्यमी को आप कैसे बदनाम कर सकते हैं, जेआरडी टाटा न होते तो हवाई जहाज और लौह उद्योग न होता. हर उद्योगपति मेहुल चौकसी और नीरव मोदी नहीं कह सकते.
सवाल : क्या अभी भी कोई उद्योगपति किसी विपक्षी नेता से बंद कमरे में मिल रहा है?
जवाब : ये मैं NDTV या किसी पत्रकार से या खुले मंच पर कह नहीं सकता.
सवाल : फिर कच्चा चिट्ठा कैसे खोलेंगे?
जवाब : पीएम की टिप्पणी पर टिप्पणी नहीं कर सकता. मुंह में माइक ठूंसने पर बोल नहीं सकता.
सवाल : क्या आप बीजेपी ज्वाइन करेंगे?
जवाब : अखिलेश-मायावती और योगी-मोदी में से एक को चुनना पड़े तो योगी-मोदी को चुनूंगा. कहीं नहीं लिखा कि किसी दल का समर्थन करने के लिए उस दल में शामिल होना जरूरी है.
सवाल : आपका कहना है कि 70 साल तक वो संस्कृति चलती रही जिसमें नेता उद्योगपतियों के संबंध रहे हैं?
जवाब : ये आपका विश्लेषण है. उद्योगपतियों से मिलना ग़लत नहीं, ग़लत फायदा पहुंचाना ग़लत है. पीएम ने साफ़ कर दिया है कि ग़लत को भागना पड़ेगा या जेल जाना पड़ेगा.
VIDEO: बुआ-बबुबा के मुकाबले योगी और मोदी अच्छे : अमर सिंह
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