श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक की याचिका पर गोवा सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब मांगा है. अपनी याचिका के जरिए मुतालिक ने गोवा में प्रवेश की इजाजत मांगी है.
मुतालिक ने कहा है कि गोवा में उनके इस्टदेव का मंदिर भी है लेकिन गोवा में प्रवेश पर रोक है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट गोवा में प्रवेश करने से रोकने के बंबई हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली मुतालिक की याचिका को ख़ारिज कर चुका है.
पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस अमिताव राय ने मुतालिक की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि, 'यह आदेश गोवा में शांति बनाए रखने के लिए दिया गया होगा.'
कोर्ट ने कहा, 'गोवा के लोग अपने हित की रक्षा स्वयं करेंगे. आप क्या कर रहे हैं? आप लोग महज मॉरल पुलिसिंग कर रहे है. श्रीराम सेना के कार्यकर्ता एक पब में जबरन घुस गए और उन्होंने लड़कों और लड़कियों को पीटा.'
पुलिस ने मुतालिक और उनके सहयोगियों पर निषेधाज्ञा लगाई है और इस मामले में बंबई हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने हस्तक्षेप करने से 2 जुलाई को इनकार कर दिया था जिसके बाद मुतालिक इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे. मुतालिक ने CrPC की धारा 144 के तहत पारित निषेधाज्ञा पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि यह गैरकानूनी है और इसे उनकी बात सुने बिना बार बार पारित किया गया.
उन्होंने गोवा जाने की एकपक्षीय अनुमति मांगी थी. उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दावा किया कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. मुतालिक ने याचिका में कहा कि गोवा सरकार और दक्षिणी गोवा एवं उत्तरी गोवा के जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा बार बार पारित निशेधाज्ञा 'अवैध है और यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.'
मुतालिक को राज्य में प्रवेश करने से रोकने का पहला आदेश उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा के जिला मजिस्ट्रेटों ने दो साल पहले 19 अगस्त को60 दिनों के लिए जारी किया था. इसके बाद आदेशों की अवधि आगे बढ़ाई गई.
मुतालिक ने कहा है कि गोवा में उनके इस्टदेव का मंदिर भी है लेकिन गोवा में प्रवेश पर रोक है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट गोवा में प्रवेश करने से रोकने के बंबई हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली मुतालिक की याचिका को ख़ारिज कर चुका है.
पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस अमिताव राय ने मुतालिक की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि, 'यह आदेश गोवा में शांति बनाए रखने के लिए दिया गया होगा.'
कोर्ट ने कहा, 'गोवा के लोग अपने हित की रक्षा स्वयं करेंगे. आप क्या कर रहे हैं? आप लोग महज मॉरल पुलिसिंग कर रहे है. श्रीराम सेना के कार्यकर्ता एक पब में जबरन घुस गए और उन्होंने लड़कों और लड़कियों को पीटा.'
पुलिस ने मुतालिक और उनके सहयोगियों पर निषेधाज्ञा लगाई है और इस मामले में बंबई हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने हस्तक्षेप करने से 2 जुलाई को इनकार कर दिया था जिसके बाद मुतालिक इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे. मुतालिक ने CrPC की धारा 144 के तहत पारित निषेधाज्ञा पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि यह गैरकानूनी है और इसे उनकी बात सुने बिना बार बार पारित किया गया.
उन्होंने गोवा जाने की एकपक्षीय अनुमति मांगी थी. उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दावा किया कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. मुतालिक ने याचिका में कहा कि गोवा सरकार और दक्षिणी गोवा एवं उत्तरी गोवा के जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा बार बार पारित निशेधाज्ञा 'अवैध है और यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.'
मुतालिक को राज्य में प्रवेश करने से रोकने का पहला आदेश उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा के जिला मजिस्ट्रेटों ने दो साल पहले 19 अगस्त को60 दिनों के लिए जारी किया था. इसके बाद आदेशों की अवधि आगे बढ़ाई गई.
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