विज्ञापन
This Article is From Oct 26, 2020

लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र के ऐलान से लोन लेने वाले 75% कर्जदारों को मिलेगा फायदा: रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 5 नवंबर तक पात्र कर्जदारों के खाते में राशि डालने को को कहा है. यह राशि छूट अवधि छह महीने के दौरान संचयी ब्याज और साधारण ब्याज का अंतर के बराबर होगी.

लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र के ऐलान से लोन लेने वाले 75% कर्जदारों को मिलेगा फायदा: रिपोर्ट
प्रतीकात्‍मक फोटो
मुंंबई:

EMI Moratorium: बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए 40 प्रतिशत से अधिक कर्ज तथा 75 प्रतिशत कर्जदार संचयी ब्याज यानी ब्याज-पर-ब्याज से राहत देने के निर्णय से लाभान्वित होंगे, वहीं इससे सरकारी खजाने पर करीब 7,500 करोड़ रुपये का बोझ आएगा. एक रिपोर्ट (Report) में यह कहा गया है. सरकार (Centre Government) ने पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष कहा कि वह 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर संचयी ब्याज से छूट देगी. इसके तहत बैंकों को संचयी ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर की राशि उपलब्ध कराई जाएगी.उसने कहा कि यह सुविधा सभी कर्जदारों को मिलेगी. भले ही उसने किस्त भुगतान को लेकर दी गई मोहलत (EMI Moratorium) का लाभ उठाया हो या नहीं. लेकिन इसके लिए शर्त है कि कर्ज की किस्त का भुगतान फरवरी के अंत तक होता रहा हो यानी संबंधित ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) नहीं हो. 

'राजकोषीय नीति में कोर्ट नहीं दे सकती दखल', लोन मोरेटोरियम केस में SC में बोली सरकार

क्रिसिल ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘इस प्रकार के कर्ज संस्थागत व्यवस्था (बैंक, वित्तीय संस्थान) द्वारा दिये गये कर्ज का 40 प्रतिशत है. इससे 75 प्रतिशत कर्जदारों को लाभ होगा. जबकि सरकार के खजाने पर करीब 7,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.'' इसमें कहा गया है कि अगर यह राहत केवल उन्हीं को दी जाती, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत का लाभ उठाया, तो सरकारी खजाने पर बोझ आधा ही पड़ता.

Coronavirus संकट के चलते एक्सपोर्ट सेक्टर बुरे हाल में, निर्यात 34 प्रतिशत गिरा

सरकार ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 5 नवंबर तक पात्र कर्जदारों के खाते में राशि डालने को को कहा है. यह राशि छूट अवधि छह महीने के दौरान संचयी ब्याज और साधारण ब्याज का अंतर के बराबर होगी.क्रिसिल के अनुसार अगर 2 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने वाले पात्र कर्जदारों को ब्याज-पर-ब्याज समेत पूरी तरह से ब्याज पर छूट दी जाती तो सरकारी खजाने पर बोझ 1.5 लाख करोड़ रुपये पड़ता. इससे सरकार के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र के लिये वित्तीय मोर्चे पर समस्या होती. छूट योजना के दायरे में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), शिक्षा, आवास, उपभोक्ता टिकाऊ, क्रेडिट कार्ड, वाहन, व्यक्तिगत कर्ज, पेशेवर और उपभोग ऋण को शामिल किया गया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com