भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर आपातकालीन स्थिति में उतरने के अभ्यास के तहत कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से पर उतरेंगे. यह जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में इस तरह का पहला अभ्यास है. अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि अमेरिका निर्मित चिनूक और रूस निर्मित एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की लगभग दो उड़ान सोमवार और मंगलवार की मध्यरात्रि के दौरान जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के वानपोह-संगम खंड पर उतरेंगी.
आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने संबंधी 3.5 किलोमीटर लंबी पट्टी पर 2020 में काम शुरू हुआ था और यह पिछले साल के आखिर में पूरा हो गया.
लैंडिंग' पट्टी पर सुरक्षा बढ़ाई गई
अधिकारियों ने कहा कि ‘लैंडिंग' पट्टी पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग संबंधित क्षेत्र के पास न जाएं.
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि बिजबेहारा में राजमार्ग पर यातायात को वानपोह से संगम की ओर मोड़ दिया गया है, जहां विमान उतारने और इसके उड़ान भरने का परीक्षण निर्धारित है.
130 किमी प्रति घंटा है चिनूक की अधिकतम गति
चिनूक हेलीकॉप्टर की अधिकतम गति 310 किमी प्रति घंटा है. इसका उपयोग भारी वजन उठाने के लिए किया जाता है. मुख्य कैबिन में 33 से अधिक पूर्णतः सुसज्जित सैनिक बैठ सकते हैं. इसका उपयोग चिकित्सा निकासी के लिए भी किया जा सकता है और इसमें 24 स्ट्रेचर समायोजित किए जा सकते हैं.
एमआई-17 हेलीकॉप्टर में 35 सैनिक समायोजित किए जा सकते हैं.
इस अभ्यास के बाद, जम्मू कश्मीर कार्यरत आपातकालीन लैंडिग सुविधा (ईएलएफ) वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश होगा. आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीन ऐसे राज्य हैं जहां ईएलएफ वर्तमान में कार्यरत हैं.
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