वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने जैसलमेर में भरी हुंकार. उन्होंने भारतीय वायुसेना के सबसे बड़े युद्धाभ्यास 'वायुशक्ति' (Vayushakti) से पहले NDTV से खास बातचीत की. इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने एयरफोर्स की क्षमताओं पर बात की. उन्होंने कहा कि वायुशक्ति वायुसेना को अपनी क्षमता दर्शाने का एक मौका है, जिसमें 100 से ज्यादा फाइटर एयरक्राफ्ट की ताकत दिखेगी. यह यह संदेश देने की कोशिश है कि भारतीय वायुसेना अपने आप में सशक्त है.
वायुशक्ति के जरिए एयरफोर्स अपनी कॉम्बैट तैयारी को चेक करता है और हर तरह के हथियारों की भी चेकिंग की जाती है. वायुशक्ति खुद के लिये सशक्त और कामयाब एयर फोर्स है. यह अलग-अलग जगहों पर बम गिरा पाने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि वायुसेना को हमेशा तैयार रहना चाहिए और नए सिस्टम को शामिल करना चाहिए. एयरफोर्स हमेशा हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. एयर चीफ मार्शल ने ये बात जैसलमेर में आयोजित होने वाली 'वायु शक्ति 2024' से पहले कही है.
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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमान हो या हेलीकॉप्टर या ट्रांसपोर्ट विमान या राडार, हमें स्वदेशी सिस्टम पर भरोसा है. आने वाले दशक में LCA माक 1 की पूरी तरह से इंडक्शन हो जाएगा और वायुसेना में भारी संख्या में जहाज़ शामिल होंगे. C295 ट्रांसपोर्ट एअरक्राफ़्ट है, ये पहला सैन्य ट्रांसपोर्ट एअरक्राफ़्ट है जो भारत में निर्मित होगा. 56 जहाज़ों का कॉनट्रैक्ट था, जिसमें 16 जहाज़ बाहर से बनकर आए, बाकी 40 जहाज़ हिन्दुस्तान में निर्मित होंगे. हेलीकॉप्टर पर भी बहुत ज़ोर दिया जा रहा है. .तकरीबन 70% राडार भारत में निर्मित हैं. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश थ्रेट के मुताबिक कैपेबिलिटी डेवेलप करने की रहती है. कहीं से भी खतरा सामने आता है, तो सबसे पहले और घातक जवाब देते है.
चार साल में पूर्वी लद्दाख में हमने बहुत सबक सीखे, इस दौरान आर्मी और आईटीबीपी से मदद मिली. वायुसेना ने ट्रेनिंग को बदला और मेन और मशीन को उस मुताबिक ढाला. पिछले तीन-चार सालों में हमने प्रशिक्षण प्राणाली को बहुत बढ़ावा दिया है. एयर चीफ मार्शल ने कहा कि भारत की तैयारी इस तरह की है कि कोई भी आने वाला थ्रेट हमारी नजरों से छूट न जाए.हमारा प्रयास रहता है कि खतरा कहां से आ सकता है उसपर ध्यान दिया जाए, समक्षता उस हिसाब से विकसित की जाती है. जैसे ही खतरा महसूस होता है हम तुरंत रिएक्ट करते हैं उन्होंने कहा कि खतरा किसी भी दिशा से प्रकट हो सकता है इसीलिए हम हमेशा मज़बूती से तैयार हैं. हमने इजरायल-हमास युद्ध से भी सबक लिया है. हम हमेशा सबक लेते हैं और उसको अपनी ट्रेनिंग में शामिल करते है. किसी भी हालत में रिएक्शन टाइम कम ही होता है. हम हमेशा अलर्ट पर रहते हैं. बालाकोट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कॉनफ्लिक्ट को बढ़ाए बिना एयर पावर का किस तरह इस्तेमाल होता है, बालाकोट इसका एक बड़ा उदाहरण था.
"ड्रोन हमारे लिए थ्रेट नहीं बल्कि चुनौती"
वायुसेना एक तकनीक बेस सर्विस है. मशीन को चलाने के लिए स्किल की जरूरत होती है, मशीन ये नहीं जानती कि उसको ऑपरेट करने वाली महिला है या पुरुष. गर्व से कह सकते हैं कि एयरफोर्स में जिस भी क्षेत्र में महिलाओं ने हिस्सा लिया है, हमेशा मर्दो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है. उम्मीद है कि और महिलाएं भी वायुसेना में शामिल होंगी. एयर चीफ मार्शल ने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है इसीलिए तकनीक के साथ बढ़ना चाहिए. इसके आगे रहना है.उन्होंने कहा कि ड्रोन को हम थ्रेट नहीं तरह नहीं बल्कि एक चुनौती की तरह देखते हैं. इस पर जोर रहता है कि किस तरह से नए तरीकों से हम इस खतरे का सामना कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वायुसेना भारत की अखंडता और एकता के लिए प्रतिबद्ध है.
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