2 आदिवासियों पर हमला करने के बाद हाथी राम रेस्क्यू में पकड़ लिया गया है. बता दें ति राम हाथी जबलपुर से मंडला जिले के वनक्षेत्र से गुजरते हुए 3 को कान्हा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में पहुंचा. पेंच टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर विक्रम सिंह परिहार और कान्हा टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर एसके सिंह की अगुवाई में टीम रेस्क्यू में लगी थी. आपने साथी हाथी बलराम की मौत के बाद विचलित राम आम नागरिकों के लिए खतरनाक हो चुका था. अब वह पालतू बनकर कान्हा जंगल में ही रहेगा. वहां उसे पालतू बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी. पहले उसके दांत का नुकीला हिस्सा कम किया जाएगा. इसके बाद धीरे-धीरे उसे पहले से मौजूद पालतू हाथी के दल में मिलाने की कोशिश होगी.
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बता दें कि ग्रामीणों द्वारा दिए गए राम-बलराम उपनाम वाले दोनों हाथी ओडिशा से छग के रास्ते भटक कर एक वर्ष पहले कान्हा और फिर मंडला, सिवनी, नरसिंहपुर में विचरण कर रह रहे थे. 27 नवंबर को दोनों हाथी जबलपुर के बरगी मोहास में पहुंचे. जहां बलराम हाथी की जंगली सूअर का शिकार करने बिछाए गए करंट की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई. इस मामले में वन विभाग की टीम दो शिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है. तब से बलराम हाथी के रेस्क्यू की कोशिश शुरू हुई थी.
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साथी बलराम की मौत से विचलित राम हाथी की सुरक्षा को लेकर रेस्क्यू का निर्देश प्रधान मुख्य सचिव वन संरक्षक ने दिए थे. राम हाथी ने मंडला के बीजाडांडी परिक्षेत्र में दो ग्रामीणों पर हमला भी कर दिया था. एक घायल को मेडिकल में भर्ती करना पड़ा था. उसकी पीठ पर राम हाथी ने दांत धंसा दिया था. वहीं, दूसरे को हल्की चोटें आई थीं. इसके बाद राम हाथी लगातार अपना ठिकाना बदलता रहा. 10वें दिन वह काबू में आया.
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