चुनाव सुधार कानून संशोधन बिल में वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है. (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली:
मतदाता पहचान पत्र (Voter I-Card) को आधार (Aadhaar) से जोड़ने सहित चुनावी कानून में बदलाव के लिए पेश संशोधन बिल पर सरकार आज राज्यसभा में बहस के लिए तैयार है, जबकि विपक्ष इसका जोरदार विरोध कर रहा है और बिल की समीक्षा की मांग कर रहा है. इस बीच सरकार ने विपक्ष की आपत्तियों पर एक नोट तैयार किया है.
- बीजेपी सांसदों के लिए एक प्रेजेंटेशन में आज सुबह केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सहित सभी दल जो इस संशोधन बिल की आलोचना कर रहे हैं, वे स्थायी समिति का हिस्सा रही हैं. उसी समिति ने ऐसी सिफारिशें की थीं.
- किरेन रिजिजू ने कहा कि चुनाव सुधारों पर लंबे समय से चर्चा चली आ रही है. चुनाव कानून संशोधन बिल 2021 उन्हीं का समावेश करता है.
- मतदाता सूची में किसी व्यक्ति का पंजीयन उसके आवेदन के आधार पर होता है. यह व्यक्ति मतदाता के तौर पर पंजीकृत होने के योग्य होना चाहिए.
- इस बिल में प्रावधान है कि नया आवेदक आवेदन करते समय अपनी पहचान के लिए स्वैच्छिक रूप से अपना आधार नंबर दे सकता है. यह अनिवार्य नहीं है.
- कोई भी आवेदन इस आधार पर खारिज नहीं होगा कि उसमें आधार नंबर नहीं दिया गया है.
- मंत्री ने कहा कि मतदाता सूची को आधार से जोड़ने से चुनावी आंकड़े के प्रबंधन की एक बड़ी समस्या हल होगी. यह समस्या है एक व्यक्ति द्वारा विभिन्न स्थानों पर मतदाता सूची में पंजीयन कराना.
- एक बार आधार से जोड़ देने के बाद मतदाता सूची डेटा सिस्टम नए आवदेक के बारे में तुरंत अलर्ट कर देगा कि कहीं उसका नाम किसी और निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में तो नहीं है.
- अगर उसका नाम पहले से ही किसी अन्य स्थान पर मतदाता सूची में है तो इससे मतदाता सूची को ठीक करने में मदद मिलेगी और मतदाताओं को उसी स्थान पर पंजीयन करने में आसानी होगी जहां के वे मौजूदा निवासी हैं.
- ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि मतदाता नई जगह पर शिफ्ट होता है और पुरानी जगह से मतदाता सूची से अपना नाम हटवाना भूल जाता है. इसलिए यह संभावना रहती है कि एक ही व्यक्ति का नाम कई जगहों की मतदाता सूचियों में हो.
- चुनाव सुधार कानून संशोधन बिल विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा में पारित हो चुका है. अब यह राज्यसभा से पारित हो सकता है.