100 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए इंतजार
इस प्रकार उसे चार सीटों का नुकसान हुआ है. निर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने के बाद बीजेपी के सदस्यों की संख्या 95 से घटकर 91 रह जाएगी. यानी फिर से 100 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी को अभी और इंतजार करना पड़ेगा. अभी भी राज्यसभा में सात मनोनीत सदस्यों सहित कुल 13 रिक्तियां हैं. मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति और खाली सीटों को भरे के जाने के बाद बीजेपी के सदस्यों की संख्या 100 के करीब पहुंच सकती है क्योंकि कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आमतौर पर मनोनीत सदस्य अपने मनोनयन के छह माह के भीतर खुद को किसी दल से (सामान्यत: सत्ताधारी दल से) संबद्ध कर लेते हैं.
विगत अप्रैल माह में हुए राज्यसभा चुनावों में असम, त्रिपुरा और नगालैंड में एक-एक सीटों पर जीत हासिल करने के बाद बीजेपी अपने इतिहास में पहली बार उच्च सदन में 100 के आंकड़े पर पहुंची थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के कई नेताओं ने इसे बीजेपी की बड़ी उपलब्धि करार दिया था.
राज्यसभा की 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनावों की घोषणा के बाद उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, झारखंड और उत्तराखंड में सभी 41 उम्मीदवारों को पिछले शुक्रवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था. इनमें बीजेपी के 14 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए थे. बीजेपी को उत्तर प्रदेश में तीन सीटों का फायदा हुआ. वहां से उसके पांच सदस्य सेवानिवृत्त हुए थे जबकि आठ सदस्य निर्वाचित हुए हैं. बिहार और मध्य प्रदेश में बीजेपी को दो-दो सीटें और उत्तराखंड और झारखंड में एक-एक सीटें मिलीं.
जीतने की संभावनाएं थीं बेहद कम
हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव हुए. इनमें से बीजेपी महाराष्ट्र और कर्नाटक में तीन-तीन सीटें और हरियाणा व राजस्थान में एक-एक सीट जीतने में सफल रही. बीजेपी के बेहतर चुनाव प्रबंधन के कारण पार्टी के दो उम्मीदवार और उसके समर्थन वाले एक निर्दलीय उम्मीदवार ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा में जीत हासिल की, जबकि उनके जीतने की संभावनाएं बेहद कम थीं.
इस प्रकार इन चार राज्यों में बीजेपी को कुल आठ सीटें मिलीं. इस प्रकार कुल 57 सीटों में से 22 सीटों पर उसके उम्मीदवारों को जीत मिली. हरियाणा में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले कार्तिकेय शर्मा को बीजेपी और उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी ने समर्थन दिया था. राजस्थान में बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा का समर्थन किया था लेकिन वह चुनाव हार गए.
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