चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आयोग से इस्तीफा दे दिया है. लवासा अब एशियन डेवलपमेंट बैंक को उपाध्यक्ष के तौर पर जॉइन करने वाले हैं. बहुपक्षीय फंडिंग एजेंसी ने 15 जुलाई को लवासा को अपना अगला उपाध्यक्ष नियुक्त करने को लेकर घोषणा की थी, जिसके एक महीने के बाद लवासा ने इस्तीफा दे दिया है. 62 साल के लवासा को जनवरी, 2018 में चुनाव आयुक्त बनाया गया था और उनके कार्यकाल में अभी दो सालों का वक्त बचा हुआ था. बता दें कि अशोक लवासा पिछले साल उस वक्त चर्चा में आ गए थे, जब वो लोकसभा चुनावों के कैंपेन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लेकर आयोग के फैसले के खिलाफ चले गए थे. पीएम मोदी के खिलाफ छह शिकायतें दर्ज कराई गई थीं. लावासा ने इनमें से कुछ मामलों में समिति के विचारों से असहमति जताई थी.
इसके कुछ ही वक्त बाद उन्होंने आयोग की बैठकों में जाना बंद कर दिया था. उनका आरोप था कि' बहुसदस्यीय सवैंधानिक संस्थाओं द्वारा बनाए गए नियमों के विपरीत 'अल्पसंख्यक फैसलों' को दबाने की कोशिश की जा रही थी.' पिछले साल दिसंबर में लवासा ने Indian Express में एक लेख में लिखा था, 'एक ईमानदार व्यक्ति एक आंतरिक शक्ति के बल पर अपनी राह पर चला करता है. ऐसा समाज जो किसी ईमानदार के रास्ते में बाधा उत्पन्न करता है, उसे चोट पहुंचाता है, अपने विनाश का रास्ता प्रशस्त करता है.'
उनका यह लेख तब छपा था, जब इसके दो महीने पहले ही उनकी पत्नी नोवल ए लवासा को इनकम टैक्स ऑफिस की ओर से नोटिस भेजा गया था. इसमें आईटीआर फाइलिंग में कुछ गड़बड़ियों के आरोप लगाए गए थे. सूत्रों के हवाले से जानकारी थी कि इसमें 'फॉरेन एक्सचेंज से संबंधित' गड़बड़ी होने के आरोप थे. अशोक लवासा ने उस वक्त कहा था कि उनकी पत्नी ने 'आईटी विभाग का सहयोग करते हुए अपने सभी टैक्स चुका दिए थे और अपनी पूरी संपत्ति का ब्यौरा दिया था.'
बता दें कि अशोक लवासा ने ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस की डिग्री ली है, वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से डिफेंस एंड स्ट्रीटिजिक स्टडीज़ में डिग्री ली है. एशियन डेवलपमेंट बैंक की स्थापना 1960 के दशक के शुरुआती सालों में हुई थी. इसका लक्ष्य दुनिया के गरीब और विकासशील देशों में अर्थव्यवस्था के विकास और सहयोग के लिए मदद करना था. ADB सामाजिक और आर्थिक विकास में अपने सदस्यों और भागीदारों की लोन देकर, तकनीकी सहायता, अनुदान और शेयर निवेश के जरिए मदद करती है.
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