- भारत निर्वाचन आयोग ने SIR प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस बनाकर मतदाता सूची सुधार को सरल बनाया है
- बिहार के पहले चरण में आई कठिनाइयों के आधार पर आयोग ने दस्तावेज़ जमा करने की प्रक्रिया में सुधार किए हैं
- नया सिस्टम आधार कार्ड समेत बारह प्रकार के दस्तावेज़ों को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार करेगा
भारत निर्वाचन आयोग ने इस बार SIR (Special Intensive Revision) को पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस बनाने का बड़ा कदम उठाया है. बिहार में पहले चरण के दौरान सामने आई कठिनाइयों से सीख लेते हुए आयोग ने इस बार कई सुधार किए हैं. अब मतदाता सूची में नाम जोड़ने या संशोधन के लिए किसी तरह के कागज़ी दस्तावेज़ जमा करने की जरूरत नहीं होगी. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस बार आयोग का मकसद है “हर मतदाता को सुविधा, पारदर्शिता और त्वरित सेवा.” SIR 2.0 को यूज़र फ्रेंडली फॉर्मेट में तैयार किया गया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों तक, सभी मतदाता आसानी से ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी कर सकें.
चुनाव आयोग ने बिहार में हुई समस्याओं से ली सीख
बिहार में SIR के दौरान मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने के लिए एन्यूमरेशन फॉर्म के साथ दस्तावेज़ों की हार्ड कॉपी जमा करनी पड़ती थी. यह प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली थी, बल्कि कई लोगों के लिए तकनीकी रूप से जटिल भी साबित हुई. बिहार मॉडल की समीक्षा के बाद चुनाव आयोग ने पाया कि पेपरवर्क कम करने और डिजिटल वेरिफिकेशन बढ़ाने से न केवल त्रुटियां कम होंगी, बल्कि डुप्लीकेट एंट्री जैसी समस्याएं भी दूर होंगी. अब नया सिस्टम आधार समेत 12 प्रकार के दस्तावेज़ों को पहचान प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार करेगा.
SIR 2.0 में क्या है नया?
- पेपरलेस सिस्टम: अब मतदाताओं को किसी भी दस्तावेज़ की हार्ड कॉपी जमा करने की जरूरत नहीं होगी.
- ऑनलाइन अपलोडिंग: हर मतदाता अपने दस्तावेज़ मोबाइल या कंप्यूटर से स्कैन कर सीधे अपलोड कर सकेगा.
- ऑटो-डुप्लीकेशन फीचर: यदि कोई व्यक्ति दो जगह से एन्यूमरेशन फॉर्म भरता है, तो उसका डुप्लीकेट नाम अपने आप हट जाएगा.
- आधार लिंकिंग: मतदाता पहचान प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अब आधार कार्ड को आधिकारिक पहचान प्रमाण की सूची में शामिल किया गया है.
- यूज़र फ्रेंडली इंटरफ़ेस: नया पोर्टल अब ज्यादा आसान, साफ-सुथरा और मोबाइल फ्रेंडली है.
70% वोटर्स पहले ही जुड़ चुके
CEC ज्ञानेश कुमार के अनुसार, अब तक लगभग 60 से 70 प्रतिशत मतदाताओं के नाम पुराने और नए वोटर लिस्ट में स्वतः मैप हो चुके हैं. केवल वही लोग जिनके या उनके माता-पिता के नाम दोनों सूचियों में नहीं हैं, उन्हें अतिरिक्त दस्तावेज़ देने होंगे. उन्होंने मतदाताओं से अपील की “कृपया केवल एक ही जगह से एन्यूमरेशन फॉर्म भरें. दोहरी प्रविष्टि करने वालों पर कार्रवाई हो सकती है.”
क्यों जरूरी है SIR 2.0
चुनाव आयोग के मुताबिक, हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का सटीक पुनरीक्षण (Revision) लोकतंत्र की बुनियाद है. हाल के वर्षों में राजनीतिक दलों ने कई बार मतदाता सूची की शुद्धता पर सवाल उठाए हैं. ज्ञानेश कुमार ने कहा, “2000 से 2004 के बीच आखिरी बार बड़े पैमाने पर SIR हुई थी. इतने लंबे अंतराल के बाद अब यह प्रक्रिया और भी जरूरी हो गई है, ताकि हर योग्य नागरिक का नाम मतदाता सूची में सही तरीके से दर्ज हो.”
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