नई दिल्ली:
ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी के आरोपों को निराधार बताते हुए और इन मशीनों को फुलप्रूफ बताते हुए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पेपर ट्रेल के साथ 16 लाख से ज्यादा ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल होगा. चुनाव आयोग ने ये भी भरोसा दिलाया है कि तकनीकी रूप से सक्षम इन ईवीएम मशीनों से आम चुनाव प्रक्रिया और भी पारदर्शी होगी. हालांकि चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है कि दिसंबर में होने वाले गुजरात चुनाव में ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल होगा या नहीं.
ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों पर आयोग ने कहा है कि तकनीकी सुरक्षा फीचर्स के साथ आयोग द्वारा प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए कदम की वजह से ईवीएम ना सिर्फ मतदान के वक्त फुलप्रूफ हैं बल्कि निर्माण के वक्त, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के वक्त भी सुरक्षित हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों ने गड़बड़ी के आरोप तो लगाए हैं लेकिन इसे लेकर कोई सबूत नहीं दिया है.
हलफनामे में बताया गया है कि खराब मशीनों का चुनाव में इस्तेमाल नहीं किया जाता. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया है कि भारत की ईवीएम मशीनो की तुलना विदेशों से नहीं की जा सकती क्योंकि विदेशों में इंटरनेट से जुडे कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है जिसे हैकिंग का खतरा बना रहता है. भारत में ईवीएम अपनी तरह की हैं.
चुनाव आयोग का कहना है कि VVPAT का इस्तेमाल सबसे पहले 4 सितंबर 2013 को नगालैंड के विधानसभा चुनाव में किया गया. तब से अब तक 266 विधानसभा और 9 संसदीय क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा चुका है. हाल ही में हुए पांच राज्यों में चुनाव के दौरान आयोग ने 53,500 VVPAT का प्रयोग किया.
VIDEO: VVPAT मशीन से जुड़े हर सवाल का जवाब
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों पर दायर बीएसपी, समाजवादी पार्टी के विधायक और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि ईवीएम मशीनों के साथ VVPAT यानी पेपर ट्रेल जोड़े जाने की वास्तविक स्थिति क्या है? क्या चुनाव आयोग गुजरात चुनाव VVPAT से करा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चार हफ्ते का वक्त दिया है और इस याचिका को भी दूसरी याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है.
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल महीने मे ही केंद्र सरकार ने VVPAT के लिए 3137 करोड़ का फंड जारी किया है. इसके लिए चुनाव आयोग व्यवस्था कर रहा है लेकिन फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में ये भी मांग की गई है कि गुजरात के चुनाव VVPAT से होने चाहिए ताकि ईवीएम गड़बड़ी ना हो.
ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों पर आयोग ने कहा है कि तकनीकी सुरक्षा फीचर्स के साथ आयोग द्वारा प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए कदम की वजह से ईवीएम ना सिर्फ मतदान के वक्त फुलप्रूफ हैं बल्कि निर्माण के वक्त, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के वक्त भी सुरक्षित हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों ने गड़बड़ी के आरोप तो लगाए हैं लेकिन इसे लेकर कोई सबूत नहीं दिया है.
हलफनामे में बताया गया है कि खराब मशीनों का चुनाव में इस्तेमाल नहीं किया जाता. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया है कि भारत की ईवीएम मशीनो की तुलना विदेशों से नहीं की जा सकती क्योंकि विदेशों में इंटरनेट से जुडे कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है जिसे हैकिंग का खतरा बना रहता है. भारत में ईवीएम अपनी तरह की हैं.
चुनाव आयोग का कहना है कि VVPAT का इस्तेमाल सबसे पहले 4 सितंबर 2013 को नगालैंड के विधानसभा चुनाव में किया गया. तब से अब तक 266 विधानसभा और 9 संसदीय क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा चुका है. हाल ही में हुए पांच राज्यों में चुनाव के दौरान आयोग ने 53,500 VVPAT का प्रयोग किया.
VIDEO: VVPAT मशीन से जुड़े हर सवाल का जवाब
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों पर दायर बीएसपी, समाजवादी पार्टी के विधायक और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि ईवीएम मशीनों के साथ VVPAT यानी पेपर ट्रेल जोड़े जाने की वास्तविक स्थिति क्या है? क्या चुनाव आयोग गुजरात चुनाव VVPAT से करा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चार हफ्ते का वक्त दिया है और इस याचिका को भी दूसरी याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है.
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल महीने मे ही केंद्र सरकार ने VVPAT के लिए 3137 करोड़ का फंड जारी किया है. इसके लिए चुनाव आयोग व्यवस्था कर रहा है लेकिन फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में ये भी मांग की गई है कि गुजरात के चुनाव VVPAT से होने चाहिए ताकि ईवीएम गड़बड़ी ना हो.
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