जब से झारखंड (Jharkhand) में चुनाव आयोग ने झारखंड में पांच चरण में मतदान कराने की घोषणा की है तब से रघुबर दास सरकार के 'नक्सलवाद उन्मूलन' के सारे दावे धरे के धरे रह गये. गुरुवार को तो जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने झारखंड के चुनावी सभाओं में राज्य में नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री रघुबर दास का पीठ थपथपा रहे थे वहीं रांची में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने साफ़ कहा कि झारखंड के आला अधिकारियों ने उन्हें नक्सलवाद में कमी की कभी जानकारी नहीं दी. निश्चित रूप से मुख्य चुनाव आयुक्त का ये बयान वो भी एक ऐसे दिन जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ख़ुद झारखंड में नक्सलवाद में कमी का दावा करते हुए राज्य सरकार की तारीफ कर रहे थे, निश्चित रूप से बीजेपी के चुनावी अभियान में इस मुद्दे की हवा निकाल दी है. सुनील अरोड़ा ने रांची में संवाददाता सम्मेलन में साफ़ कहा कि राज्य के अधिकारियों के साथ जब भी बैठक हुई उसमें झारखंड सरकार के अधिकारियों के प्रेज़ेंटेशन में ये बात कभी सामने नहीं आयी कि राज्य में नक्सलवाद में कमी आयी हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक बयानों का चुनाव आयोग के लिए कोई अर्थ नहीं होता.
इस संवाददाता सम्मेलन में सुनील अरोड़ा से पूछा गया था चुनाव आयोग की अधिसूचना में कहा गया कि राज्य में 24 में से 19 जिले नक्सलवाद प्रभावित और छह जिलो को छोड़कर 13 ज़िले तो अति नक्लसलवाद से प्रभावित हैं. चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा नक्सलवाद प्रभावित राज्यों को दी गई 775 करोड़ की विशेष आर्थिक सहायता में भी झारखंड को सर्वाधिक 340 करोड़ और छत्तीसगढ़ को 200 करोड़ दिए गए. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि झारखंड में नक्सलवाद की घटनाओं में 45 फ़ीसदी की कमी आयी है. लेकिन चुनाव आयोग का कहना हैं कि उसके लिए वर्तमान में क्या स्थिति हैं वो ज़्यादा महत्व का विषय है.
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