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भाषा विवाद पर बोले शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान- स्टालिन और ममता राजनीति के लिए कर रहे NEP का विरोध

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीटीवी से कहा है कि तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल राजनीतिक कारणों से त्रिभाषा फार्मूले का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कहीं भी किसी राज्य पर हिंदी थोपने की बात नहीं कही गई है.

नई दिल्ली:

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश में त्रिभाषा फार्मूले को लेकर जारी बहस के बीच कहा है कि केवल तीन राज्य तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल ही राजनीतिक कारणों से इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन तीनों राज्यों के विरोध का कारण अलग-अलग है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कहीं भी किसी राज्य पर हिंदी थोपने की बात नहीं कही गई है.प्रधान मंगलवार को एनडीटीवी की ओर से आयोजित एजुकेशन कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे.  

शिक्षा मंत्री ने बताया कैसे बच्चे करेंगे पढ़ाई

उन्होंने कहा कि मैंने तमिलनाडु के बारे में संसद में अपनी बात रखी थी. मैंने संसद में इससे जुड़े तथ्य रखे थे.केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने त्रिभाषा फार्मूले और हिंदी थोपने का आरोप लगाने वालों को शिक्षा नीति से अवगत कराया था. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में यह कहीं नहीं कहा गया है कि शिक्षा की प्राथमिक भाषा हिंदी ही होगी. कक्षा एक से पांच तक ही बच्चा (लड़क या लड़की) अपनी मातृभाषा में ही पढ़ाई करेगा.इस दौरान वह अपनी पसंद के मुताबिक एक दसूरी भाषा भी पढे़गा, जब वह छठी कक्षा में आएगा तो वह तीसरी भाषा पढ़ेगा. 

तमिलनाडु में कौन कौन सी भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि अधिक भाषाएं जानना कोई बुरी बात नहीं है. अधिक भाषाएं जानने से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है और उसके रोजगार की संभावनाएं बढ़ती हैं. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के स्कूलों में तमिल पढाई जाती है, अंग्रेजी पढ़ाई जाती है, इससे किसी को आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के स्कूलों में तेलगु, कन्नड, मलयालम, उर्दू और कहीं-कहीं हिंदी भी पढ़ाई जाती है, इसके बाद भी वहां त्रिभाषा फार्मूले को लेकर विरोध किया जा रहा है, यह समझ से परे हैं. उन्होंने कहा कि इस बार तमिलनाडु के बोर्ड परीक्षा में बिहार में जन्मी की एक हिंदी भाषी लड़की तमिल भाषा में सबसे अधिक नंबर लेकर आई है.  उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक कुंठा में 1960 के दशक के मुद्दों को हवा दे रहे हैं, जबकि आज की परिस्थितियां बदल चुकी हैं. उन्होंने कहा कि एनईपी कहीं नहीं कह रहा है कि आप किसी एक खास भाषा को पढ़ने के लिए बाध्य हैं.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इस आरोप पर कि त्रिभाषा फार्मूला और एनईपी लागू न करने पर केंद्र सरकार पैसे रोक रही है पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि उनका विरोध राजनीतिक है. उन्होंने कहा कि स्टालिन तमिलनाडु के बच्चे को उनके अधिकारों से वंचित कर रहे हैं. 

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