
सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी पावर राजस्थान लिमिटेड के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए जयपुर विद्युत वितरण निगम की अपील को खारिज कर दिया. जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने 23 मई 2025 को दिए अपने फैसले में बिजली के लिए अपीलीय ट्रिब्यूनल (एपीटीईएल) के अप्रैल 2024 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा लगाए गए निकासी सुविधा शुल्क (ईएफसी) को बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के तहत "कानून में बदलाव" माना गया था.
किस मामले में अदाणी ग्रुप की जीत
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि बिजली उत्पादक विनियामक परिवर्तनों (कानून में बदलाव) के परिणामस्वरूप लागत में वृद्धि के लिए बिजली खरीद समझौतों के तहत मुआवजे और विलंब भुगतान अधिभार (LPS) आधारित वहन लागत का दावा करने के हकदार हैं. इस मामले में ये फैसला जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने सुनाया है. दरअसल ये विवाद जयपुर विद्युत वितरण निगम की अपील और अदाणी पावर राजस्थान लिमिटेड के बीच का है. जिसमें निश्चित टैरिफ पर 1200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए बिजली खरीद समझौता हुआ था.
मुआवजे के दावे को मिली अनुमति
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की 19 दिसंबर 2017 की निकासी सुविधा शुल्क (EFC ) अधिसूचना के बाद अदाणी पावर ने पीपीए के "कानून में बदलाव" खंड के तहत मुआवजे की मांग की. जिसमें कोयले पर अतिरिक्त ₹50/टन शुल्क लगाया गया, जिससे अडानी पावर की परिचालन लागत बढ़ गई. बिजली के लिए अपीलीय ट्रिब्यूनल (एपीटीईएल) द्वारा कानून में बदलाव के लिए अदाणी के मुआवजे के दावे को अनुमति दी गई थी. इस पर जयपुर विद्युत वितरण निगम ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने NPTEL के आदेश की पुष्टि कर दी.
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