- दिल्ली ब्लास्ट केस में ED ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है.
- जांच में पाया गया कि यूनिवर्सिटी ने झूठा दावा किया था कि उसे NAAC तथा UGC की 12(B) धारा से मान्यता मिला है.
- ED की छापेमारी में बड़े पैमाने पर फंड की हेराफेरी और परिवार की कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करने के सबूत मिले.
ED Action in Delhi Blast Case: दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच के दायरे में आए फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्धिकी को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है. लालकिले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले की तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं. दिल्ली ब्लास्ट का मुख्य आरोपी इसी अल फलाह यूनिवर्सिटी का छात्र था. साथ ही फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल में भी पकड़े गए कई आतंकी इस विवि से जुड़े थे. दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच आगे बढ़ने पर विवि की जांच में दायरे में आया था. जिसके बाद विवि की फंडिंग की भी जांच हुई थी. अब ED ने विवि के संस्थापक जावेद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया है.
मिली जानकारी के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामले में गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तारी 18 नवंबर 2025 को हुई. यह कार्रवाई उस विस्तृत जांच के बाद की गई जिसमें ईडी ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े ठिकानों पर छापेमारी कर कई अहम सबूत जुटाए.

अल फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी.
दिल्ली पुलिस ने दर्ज की थी दो FIR
ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दो एफआईआर के आधार पर शुरू की थी. इन एफआईआर में आरोप है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद ने गलत और भ्रामक दावे किए. यूनिवर्सिटी ने झूठा दावा किया कि उसे NAAC से मान्यता मिली है. यूनिवर्सिटी ने यह भी गलत जानकारी दी कि उसे UGC Act की धारा 12(B) के तहत मान्यता प्राप्त है.
UGC ने साफ कहा है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी केवल धारा 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी है और उसने कभी 12(B) के लिए आवेदन भी नहीं किया.
ट्रस्ट का कंट्रोल और पैसों की हेराफेरी
अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 1995 में हुई थी और शुरू से ही जावेद अहमद सिद्दीकी इसके मैनेजिंग ट्रस्टी रहे हैं. ईडी का कहना है कि यूनिवर्सिटी और सभी कॉलेज इसी ट्रस्ट के तहत चलते हैं, और इन सब पर पूरी तरह से जावेद सिद्दीकी का कंट्रोल है.
ईडी की जांच में क्या कुछ पता चला?
- बड़े पैमाने पर फंड की हेराफेरी की गई.
- ट्रस्ट में आने वाला पैसा परिवार की कंपनियों में ट्रांसफर किया गया.
- निर्माण और कैटरिंग के कॉन्ट्रैक्ट भी जावेद सिद्दीकी ने अपनी पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए.
- करोड़ों रुपये की प्रोसीड्स ऑफ क्राइम (ग़ैर-कानूनी कमाई) बनाई और उसे लेयर किया गया.
- कई शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया गया.
घर से 48 लाख रुपए नकद और कई डिजिटल डिवाइस जब्त
उल्लेखनीय हो कि 18 नवंबर को दिल्ली में 19 जगहों पर छापेमारी की गई, जिसमें अल-फलाह यूनिवर्सिटी के साथ जावेद सिद्दीकी और अन्य लोगों के घर भी शामिल थे. इस दौरान ईडी ने 48 लाख रुपये नकद, कई डिजिटल डिवाइस और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए.
ED का दावा- अवैध फंडिंग के सबूत के बाद गिरफ्तारी
ईडी का कहना है कि मिली हुई जानकारी, दस्तावेज और जब्त की गई राशि साफ बताते हैं कि फंड कैसे गलत तरीकों से ट्रांसफर और इस्तेमाल किए गए. काफी सबूत सामने आने के बाद जावेद अहमद सिद्दीकी को PMLA की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया. उन्हें रिमांड के लिए अदालत में पेश किया गया है. ईडी की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं.
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