- अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्धीकी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने गिरफ्तार किया है.
- ईडी ने दिल्ली में 19 स्थानों पर छापेमारी कर 48 लाख रुपये नकद और डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं.
- अल फलाह यूनिवर्सिटी ने NAAC और UGC की मान्यता के बारे में भ्रामक जानकारी दी थी, जो जांच का हिस्सा है.
Al Falah University Founder Jawad Ahmed Siddiqui: दिल्ली ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी जांच के दायरे में है. मंगलवार को केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्धीकी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार कर लिया. ED ने बताया कि 18 नवंबर को दिल्ली में 19 जगहों पर छापेमारी की गई, जिसमें अल-फलाह यूनिवर्सिटी के साथ जावेद सिद्दीकी और अन्य लोगों के घर भी शामिल थे. इस दौरान ईडी ने 48 लाख रुपये नकद, कई डिजिटल डिवाइस और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए.
ED का दावा- अवैध फंडिंग के सबूत के बाद गिरफ्तारी
ईडी का कहना है कि मिली हुई जानकारी, दस्तावेज और जब्त की गई राशि साफ बताते हैं कि फंड कैसे गलत तरीकों से ट्रांसफर और इस्तेमाल किए गए. काफी सबूत सामने आने के बाद जावेद अहमद सिद्दीकी को PMLA की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया. उन्हें रिमांड के लिए अदालत में पेश किया गया है. ईडी की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं.

NAAC से मान्यता मिलने की भ्रामक जानकारी पर हुई थी FIR
जावेद अहमद सिद्धीकी की गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में हुई है. ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दो FIR के आधार पर शुरू की. इन FIR में आरोप है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत और भ्रामक दावे किए. यूनिवर्सिटी ने झूठा दावा किया कि उसे NAAC से मान्यता मिली है. यूनिवर्सिटी ने यह भी गलत जानकारी दी कि उसे UGC Act की धारा 12(B) के तहत मान्यता प्राप्त है.
UGC ने साफ कहा है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी केवल धारा 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी है और उसने कभी 12(B) के लिए आवेदन भी नहीं किया.
इंदौर से बीटेक के बाद जामिया में दो साल की नौकरी
जावेद अहमद सिद्दीकीने इंदौर से बीटेक सिविल इंजीजिनयर में किया है. इसके बाद जावेद ने साल 1992 में जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में एसिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी की ,लेकिन केवल 2 साल 1994 तक नौकरी की. 61 साल का अल फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी तीन साल जेल में बंद रह चुका है.
चिट फंड का करता था काम, 15 केस पहले भी दर्ज
सूत्रों के मुताबिक जावेद पहले चिट फंड का काम करता था. उसके बाद उसने लोगों को पैसे नहीं दिए थे. उसके खिलाफ करीब 15 केस दर्ज हुए थे. सूत्रों के मुताबिक उसने इन पैसों से यूनिवर्सिटी को खड़ा करने में लगाया. जानकारी के मुताबिक बाद में उसने अधिकतर लोगों का पैसा लौटा दिया. फिर जावेद लगभग सभी केसों से बरी हो गया था.
जावेद के दोनों बटे और बहनें दुबई में रहती हैं
साल 2000 दर्ज हुई एफआईआर में सिद्दीकी और उनके भाई सऊद अहमद का नाम दर्ज था, जो नई दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में दर्ज की गई थी.उस पर 7.5 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप था. जावेद की दोनों बहनें और दोनों बेटे दुबई में रहते हैं.

अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का अध्यक्ष भी जावेद अहमद सिद्दीकी
जावेद अहमद सिद्दीकी, अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का अध्यक्ष है, जो फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर चलाता है. फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी का संबंध नौ कंपनियों से है, जिसका मैनेजिंग ट्रस्टी जावेद अहमद सिद्दीकी है. सिद्दीकी इन नौ कंपनियों का डायरेक्टर है, जो कि इनवेस्टमेंट, शिक्षा, सॉफ्टवेयर, ऊर्जा, निर्यात और कंसल्टेंसी से जुड़ा है.
इंवेसटमेंट, सॉफ्यवेयर, एनर्जी, एजुकेशन सहित कई कंपनियां
सिद्दीकी का सबसे पुराना संबंध अल-फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी से है, जिसमें वह 18 सितंबर 1992 को शामिल हुआ था. अन्य कंपनियों में अल-फलाह सॉफ्टवेयर, अल-फलाह एनर्जीज, तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन और अल-फलाह एजुकेशन सर्विस शामिल हैं, जिसमें वो 26 दिसंबर 2023 जुड़ा था. अधिकांश कंपनियों का रजिस्ट्रेशन का पता एक ही है अल-फलाह हाउस, जामिया नगर, ओखला, दिल्ली.
1997 में इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी विवि की शुरुआत
विश्वविद्यालय की शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी. ट्रस्ट और कंपनियों में उस्मा अख्तर का नाम भी शामिल है, जो अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की गवर्निंग बॉडी की सदस्य रह चुकी हैं,उनका नाम अल-फलाह एजुकेशन सर्विस और एमजेएच डेवलपर्स जैसी कंपनियों में निदेशक के रूप में दर्ज है. आलिया सिद्दीकी का नाम भी ट्रस्टियों की लिस्ट में है.
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