चुनाव आयोग ने ज्योतिषियों और टैरों रीडरों द्वारा चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी करना कानून का उल्लंघन बताया है
नई दिल्ली:
चुनाव आयोग ने व्यवस्था दी कि जब एग्जिट पोलों के नतीजों को दिखाने पर पाबंदी है, तो ऐसे समय में ज्योतिषियों और टैरों रीडरों की ओर से चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी करना कानून का उल्लंघन है.
आयोग ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों से कहा कि वे भविष्य में स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबंध की अवधि के दौरान चुनावों की भविष्यवाणी से जुड़े कार्यक्रमों का प्रकाशन-प्रसारण नहीं करें. मीडिया संगठनों को भेजे गए एक परामर्श में आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126-ए का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचित की गई ऐसी अवधि के दौरान कोई व्यक्ति प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए कोई एग्जिट पोल नहीं करेगा और न ही इनके नतीजों को प्रकाशित-प्रसारित करेगा और न ही इसे किसी अन्य तरीके से वितरित करेगा.
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की विधानसभाओं के चुनाव के दौरान एग्जिट पोलों पर प्रतिबंध की अवधि चार फरवरी की सुबह सात बजे से लेकर नौ मार्च की शाम 5:30 बजे तक थी. नौ मार्च को अंतिम मतदान हुए थे. परामर्श में कहा गया, ‘ऐसा देखा गया है कि कुछ टीवी चैनलों ने ऐसे कार्यक्रम प्रसारित किए जिनमें राजनीतिक पार्टियों की ओर से जीती जा सकने वाली सीटों की संख्या बताई गई. यह उस वक्त किया गया जब एग्जिट पोलों पर प्रतिबंध की अवधि लागू थी.’
आयोग ने कहा कि एक कार्यक्रम में शो के पैनलिस्टों ने बताया था कि उत्तर प्रदेश में अलग-अलग पार्टियों को कितनी सीटें मिल सकती हैं परामर्श के मुताबिक, आयोग का मानना है कि ज्योतिषियों, टैरो रीडरों, राजनीतिक विश्लेषकों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रतिबंध की अवधि के दौरान किसी भी स्वरूप या तरीके से चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी करना धारा 126-ए का उल्लंघन है . कड़े शब्दों में लिखे गए इस परामर्श को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एवं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन को भी भेजा गया है.
(इनपुट भाषा से)
आयोग ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों से कहा कि वे भविष्य में स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबंध की अवधि के दौरान चुनावों की भविष्यवाणी से जुड़े कार्यक्रमों का प्रकाशन-प्रसारण नहीं करें. मीडिया संगठनों को भेजे गए एक परामर्श में आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126-ए का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचित की गई ऐसी अवधि के दौरान कोई व्यक्ति प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए कोई एग्जिट पोल नहीं करेगा और न ही इनके नतीजों को प्रकाशित-प्रसारित करेगा और न ही इसे किसी अन्य तरीके से वितरित करेगा.
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की विधानसभाओं के चुनाव के दौरान एग्जिट पोलों पर प्रतिबंध की अवधि चार फरवरी की सुबह सात बजे से लेकर नौ मार्च की शाम 5:30 बजे तक थी. नौ मार्च को अंतिम मतदान हुए थे. परामर्श में कहा गया, ‘ऐसा देखा गया है कि कुछ टीवी चैनलों ने ऐसे कार्यक्रम प्रसारित किए जिनमें राजनीतिक पार्टियों की ओर से जीती जा सकने वाली सीटों की संख्या बताई गई. यह उस वक्त किया गया जब एग्जिट पोलों पर प्रतिबंध की अवधि लागू थी.’
आयोग ने कहा कि एक कार्यक्रम में शो के पैनलिस्टों ने बताया था कि उत्तर प्रदेश में अलग-अलग पार्टियों को कितनी सीटें मिल सकती हैं परामर्श के मुताबिक, आयोग का मानना है कि ज्योतिषियों, टैरो रीडरों, राजनीतिक विश्लेषकों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रतिबंध की अवधि के दौरान किसी भी स्वरूप या तरीके से चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी करना धारा 126-ए का उल्लंघन है . कड़े शब्दों में लिखे गए इस परामर्श को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एवं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन को भी भेजा गया है.
(इनपुट भाषा से)
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