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अयोध्या (उत्तर प्रदेश): रामसेतु के शुरुआती बिंदु, तमिलनाडु के अरिचल मुनाई की अपनी यात्रा को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अपने 11 दिवसीय 'अनुष्ठान' के दौरान उन्होंने उन सभी स्थानों के दर्शन करने की कोशिश की, जहां भगवान राम गए थे. पीएम ने उस समय की उपमा देते हुए कहा कि उन्हें विश्वास हो गया कि आज का क्षण भी समय के चक्र को बदलकर आगे बढ़ने वाला होगा.
नासिक में पंचवटी धाम, केरल में त्रिप्रयार मंदिर, आंध्र प्रदेश में लेपाक्षी, श्रीरंगम में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम में श्री रामनाथस्वामी मंदिर और धनुषकोडी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने समुद्र से सरयू नदी तक की यात्रा के लिए आभार व्यक्त किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, "समुद्र से लेकर सरयू नदी तक, हर जगह राम नाम का उत्सव है. भगवान राम भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं. राम भारतीयों के दिलों में बसते हैं. एकता की भावना भारत में कहीं भी हर किसी के विवेक में पाई जा सकती है और सामूहिकता के लिए इससे अधिक सटीक सूत्र नहीं हो सकता है." पीएम ने कई भाषाओं में श्रीराम कथा सुनने के अपने अनुभव को याद करते हुए कहा कि राम स्मृतियों और त्योहारों की परंपराओं में हैं. हर युग में लोगों ने राम को जिया है. उन्होंने राम को अपनी शैली और शब्दों में व्यक्त किया है. यह 'राम रस' जीवन के प्रवाह की तरह निरंतर बह रहा है. राम कथा अनंत है और रामायण भी अनंत है. उनके आदर्श, मूल्य और शिक्षाएं, राम हर जगह एक जैसे हैं."
सोमवार को अयोध्या में रामलला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ. इसमें पीएम मोदी मुख्य यजमान थे. अनुष्ठान के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गर्भगृह में मौजूद थे.