कोरोनावायरस के उपचार के लिए डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंज डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) ने सैंपल कलेक्शन कियोस्क बनाया है. यह देश मे पहली बार बना एक ऐसा कियोस्क है जहां स्वास्थ्यकर्मी बिना पीपीई यानि किट के भी कोरोना संदिग्धों का सैम्पल ले सकते हैं. दरअसल कोविड-19 वायरस अधिकतर कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने की वजह से फैलता है. जब कभी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में कोई भी आदमी आता है तो वह भी कोरोना से पीड़ित हो जाता है. ऐसे में स्वास्थ्यकर्मी जो मरीज का इलाज या फिर देखभाल कर रहे होते हैं वे सबसे ज्यादा कोरोना से प्रभावित होते हैं.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक कोविड19 को ज़्यादा से ज़्यादा लोगो की टेस्टिंग और पॉजिटिव लोगों को आइसोलेट करके ही रोका जा सकता है क्योंकि अभी तक इसकी कोई दवा नही बन पाई है. कियोस्क को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि ये ऑटोमैटिक असंक्रमित यानि कि डिसइन्फेक्ट हो जाएगा. ये चेंबर ऐसे बनाया गया है कि स्वास्थ्यकर्मी बाहर से संदिग्ध मरीज का सैम्पल ले सकते हैं. इसमे मरीज चेम्बर के अंदर जाता है और स्वास्थ्य कर्मी बाहर रहता है.
मरीज से बात करने के लिये कॉम्युनिकेशन सिस्टम बनाया गया है. इसकी शील्ड स्क्रीन मरीज के ऐरो सोलोस से स्वास्थ्यकर्मी को बचाती है जब वो सैम्पल लेते हैं. साथ ही आटोमेटिक तौर पर कियोस्क में ही बने सप्रयर्स और यूवी लाइट की मदद से सेनेटाइज हो जाता है. इसमे हर दो मिनट के बाद एक मरीज का सैम्पल लिया जा सकता है. इसका इस्तेमाल कोरोना के लिये बने अस्पताल में शुरू हो चुका है. सबसे अहम बात ये है कि कोरोना से पीड़ित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर और नर्स सैम्पल लेते वक्त मरीज के संपर्क में नहीं आएंगे.