विज्ञापन
This Article is From Dec 03, 2021

Dr. Rajendra Prasad Birth Anniversary: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में जानें 5 बड़ी बातें

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज जयंति (Rajendra Prasad Birth Anniversary) है. उनका जन्म 3 दिसंबर 1984 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था.

Dr. Rajendra Prasad Birth Anniversary: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में जानें 5 बड़ी बातें
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज जयंति है.
नई दिल्ली:

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज जयंती (Rajendra Prasad Birth Anniversary) है. उनका जन्म 3 दिसंबर 1984 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था. डॉ. प्रसाद ने भारतीय संविधान के निर्माण में अपना योगदान दिया था. राजेंद्र बाबू व देश रत्न के नाम से मशहूर डॉ राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. 26 जनवरी 1950 को वे देश के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे और साल 1957 में जब दूसरी बार राष्ट्रपति के चुनाव हुए, उन्हें तब दोबारा राष्ट्रपति बनाया गया था. उन्होंने 1962 तक राष्ट्रपति रहते हुए देश की सेवा की और फिर वे पद त्याग कर ​पटना चले गए, जहां बिहार विद्यापीठ में रहकर उन्होंने जन सेवा की.

1. डॉ राजेंद्र प्रसाद ने प्रारंभिक शिक्षा बिहार के छपरा के जिला स्कूल से की. ​इसके बाद 18 साल की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की. उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से 30 रुपए की स्कॉलरशिप भी मिलती थी. उन्होंने 1915 में कानून में मास्टर डिग्री ली थी. इसके बाद उन्होंने कानून में ही डाक्टरेट भी किया.

बदहाली में पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और लालू यादव के गांव

2. डॉ प्रसाद महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे. प्रसाद को ब्रिटिश प्रशासन ने 1931 के नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल में डाला था. 

3. 26 जनवरी 1950 को  ही वे देश के पहले राष्ट्रपति बने और इसी दिन देश का संविधान भी लागू होने जा रहा था, ​लेकिन इससे एक दिन पहले उनकी बहन भगवती देवी का निधन हो गया था. डॉ प्रसाद देश को सर्वोपरि रखते हुए गणराज्य की स्थापना की रस्म के बाद ही दाह संस्कार में भाग लेने गए.

इस राष्‍ट्रपति ने अनोखी परंपरा कायम की, जिसे अब तक तोड़ा नहीं जा सका

4. साल 1962 में राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद उन्हें भारत सरकार ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया.

5. राजेंद्र बाबू ने कई पु​स्तकें लिखीं, इनमें उनके आत्मकथा के अलावा 'बापू के कदमों में बाबू', 'इंडिया डिवाइडेड', 'सत्याग्रह ऐट चम्पारण', 'गांधीजी की देन' और 'भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र' शामिल हैं. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com